Pitru Paksha 2021: गया में ही क्यों पितरों का श्राद्ध करने जाते हैं लोग? जानें पौराणिक महत्व
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गया को विष्णु का नगर माना गया है. यह मोक्ष की भूमि कहलाती है. विष्णु पुराण और वायु पुराण में भी इसकी चर्चा की गई है. विष्णु पुराण के मुताबिक, गया में पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है और वे स्वर्ग चले जाते हैं. माना जाता है कि स्वयं विष्णु यहां पितृ देवता के रूप में मौजूद हैं, इसलिए इसे 'पितृ तीर्थ' भी कहा जाता है.
पितृपक्ष (Pitru Paksha 2021) में पूर्वजों की आत्मा की शांति पिंडदान और श्राद्ध करने की परंपरा है. ज्यादातर लोगों की इच्छा होती है कि वो गया जाकर ही पिंडदान करें. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, पिंडदान मोक्ष प्राप्ति का एक सहज और सरल मार्ग है. यूं तो देश के कई स्थानों में पिंडदान किया जाता है, लेकिन बिहार के फल्गु तट पर बसे गया में पिंडदान का बहुत महत्व है. कहा जाता है कि भगवान राम और सीताजी ने भी राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए गया में ही पिंडदान किया था. गया में पहले विभिन्न नामों की 360 वेदियां थीं, जहां पिंडदान किया जाता था. इनमें से अब 48 ही बची हैं. इन्हीं वेदियों पर लोग पितरों का तर्पण और पिंडदान करते हैं. पिंडदान के लिए प्रतिवर्ष गया में देश-विदेश से लाखों लोग आते हैं.
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