PGI चंडीगढ़ में किडनी पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट कराने के चार साल बाद महिला ने बच्चे को जन्म दिया
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पीजीआई चंडीगढ़ ने एक नया कीर्तिमान रचा है. अस्पताल में चार साल पहले किडनी पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट कराने वाली महिला ने अब एक बच्चे को जन्म दिया है. इसे देश में इस तरह का संभवतः पहला मामला बताया जा रहा है. 32 साल की एक महिला ने बुधवार को एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया है.
पीजीआई चंडीगढ़ में सफल किडनी पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट (Kidney Pancreas Transplant) कराने के चार साल बाद 32 साल की एक महिला ने बुधवार को एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया है. यह महिला उत्तराखंड की रहने वाली है. पीजीआई चंडीगढ़ में किडनी पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट के बाद बच्चे को जन्म देने का यह पहला मामला बताया जा रहा है. इसे संभवतः भारत में भी इस तरह का पहला मामला बताया जा रहा है.
पीजीआई चंडीगढ़ के रेनल ट्रांसप्लांट सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर आशीष शर्मा ने कहा, अब तक भारत में 150 से कम पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट हुए हैं. इनमें से अकेले पीजीआई चंडीगढ़ में 38 ट्रांसप्लांट हुए हैं. हमारे संस्थान में पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट के बाद पहली बार किसी महिला ने बच्चे को जन्म दिया है और संभवतः यह भारत में यह इस तरह का पहला मामला है.
पीजीआई चंडीगढ़ की ऑब्सटेट्रिक्स की प्रभारी प्रोफेसर सीमा चोपड़ा ने इस अत्यधिक जोखिम भरे केस में सफल डिलीवरी पर खुशी जताते हुए कहा कि इस मामले को लेकर विशेषज्ञों की अलग-अलग राय थी. दरअसल महिला डायबिटीज, हाइपरटेंशन और किडनी फेलियर से जूझ रही थी, जिसे देखते हुए प्रेग्नेंसी कंसीव करने को बहुत ही जोखिमभरा माना जा रहा था. लेकिन विशेषज्ञों की टीम के साथ सलाह मशविरे के बाद महिला ने कंसीव करने का फैसला किया.
उन्होंने बताया कि महिला 13 साल की उम्र से ही टाइप-1 डायबिटीज से जूझ रही थी.महिला की गर्भावस्था के दौरान उसका ब्लड प्रेशर और ग्लूकोज का स्तर सामान्य था और किडनी भी सही तरीके से काम कर रही थी. लेकिन महिला की हेल्थ हिस्ट्री को देखते हुए उनकी सीजेरियन डिलिवरी की गई. इसके बाद महिला ने 2.5 किलोग्राम वजनी बच्चे को जन्म दिया.
पीजीआई चंडीगढ़ के एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर संजय भडाडा ने बताया, महिला के समक्ष शारीरिक दिक्कतें भी कम नहीं थी. वह डायबिटीज से पीड़त थी तो उन्हें रोजाना 70 यूनिट इंसुलिन की जरूरत थी. इसके साथ ही उन्हें सख्त निगरानी में रखा गया था. इसके बावजूद उन्हें एक बार वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था. साल 2016 में उनके पूरे शरीर पर सूजन आ गई थी, तब पता चला कि उनके किडनी फेल हो गई है. 2018 में हफ्ते में दो बार उनका डायलिसिस किया जाता था.
उन्होंने बताया कि महिला का किडनी पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट करने के बाद उनकी डायबिटीज और रेनल फेलियर का भी इलाज किया गया. उसके बाद से वह सामान्य जीवन जी रही हैं. दो साल पहले ही महिला की शादी हुई और अब वह एक प्यारी सी बच्ची की मां बन गई हैं.
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