Pegasus एक ब्लैक होल, हमले से बचने का कोई रास्ता नहीं: साइबर एक्सपर्ट
The Quint
pegasus project: साइबर एक्सपर्ट संदीप शुक्ला ने क्विंट से बातचीत में NSO ग्रुप के पेगासस सॉफ्टवेयर को एक 'बड़ा ब्लैक होल' बताया है, इस सॉफ्टवेयर को क्रैक करना लगभग 'नामुमकिन' है, cyber expert says pegasus spyware black hole, no escape from attack
साइबर एक्सपर्ट संदीप शुक्ला ने क्विंट से बातचीत में इजरायली कंपनी NSO ग्रुप के पेगासस सॉफ्टवेयर (Pegasus) को एक 'बड़ा ब्लैक होल' बताया है. शुक्ला का कहना है कि इस सॉफ्टवेयर को क्रैक करना लगभग 'नामुमकिन' है क्योंकि 'कंपनी लगातार मोबाइल फोन पर हमले की मोडस ऑपरेंडी बदलती रहती है.'शुक्ला IIT कानपुर में कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग के प्रोफेसर हैं. वो सरकार से फंड प्राप्त एक साइबर सिक्योरिटी लैब भी चलाते हैं.फ्रांस की संस्था Forbidden Stories और एमनेस्टी इंटरनेशनल (Amnesty international) ने मिलकर खुलासा किया है कि स्पाइवेयर पेगासस के जरिए दुनिया भर की सरकारें पत्रकारों, कानूनविदों, नेताओं और यहां तक कि नेताओं के रिश्तेदारों की जासूसी करा रही हैं. इस जांच को 'पेगासस प्रोजेक्ट' (Pegasus Project) नाम दिया गया है.WhatsApp ने साल 2019 में NSO पर आरोप लगाया था कि इसके स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल मई 2019 में दुनियाभर में WhatsApp के 1400 यूजर्स को टारगेट करने के लिए किया गया. इन लोगों में भारत के कई मानवाधिकार कार्यकर्त्ता, वकील और एक्टिविस्ट शामिल थे. जिन 121 भारतीय नागरिकों की सर्विलांस हुई थी, उनमें भीमा कोरेगांव मामले के वकील निहाल सिंह राठौड़, एल्गार परिषद केस के आरोपी आनंद तेलतुंबडे, बस्तर की मानवाधिकार वकील बेला भाटिया, एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज की वकील शालिनी गेरा जैसे लोग शामिल हैं.WhatsApp ने दावा क्या था कि उसने अपने सॉफ्टवेयर की खामी को ठीक कर दिया है. एक मिस्ड WhatsApp वीडियो कॉल के जरिए ही पेगासस डाला गया था.क्विंट ने संदीप शुक्ला से बात कर जाना कि पेगासस स्पाइवेयर कैसे ऑपरेट करता है और मोबाइल को इससे बचाने के लिए क्या कोई तरीका अपनाया जा सकता है.ADVERTISEMENTपेगासस मोबाइल फोन में कैसे आता है?2019 से पहले पेगासस फोन में आने के लिए मिस्ड WhatsApp वीडियो कॉल का रास्ता अपनाया करता था. पर अब WhatsApp ने सॉफ्टवेयर की ये दिक्कत दूर कर दी है. लेकिन अब पता चला है कि पेगासस एपल की मेसेजिंग एप्लीकेशन iMessage का इस्तेमाल कर रहा है. एक अच्छी तरह से लिखे गए मेसेज में पेगासस स्पाइवेयर एम्बेड किया जाता है. फोन यूजर को इस मेसेज पर क्लिक भी नहीं करना होगा और ये स्पाइवेयर खुद ही एक्टिवेट हो जाएगा. अगर पीड़ित मेसेज डिलीट भी कर देगा तो भी पेगासस फोन को संक्रमित कर सकेगा. ऐसा लगता है कि iMessage में भी वही बग है जो पहले Wh...More Related News