Parivartini Ekadashi 2021: भगवान विष्णु ने राजा बलि के सिर पर क्यों रख दिया था पैर? बना दिया पाताल का राजा, जानें परिवर्तिनी एकादशी की व्रत कथा
ABP News
चातुर्मास का दूसरा महीना आरंभ हो चुका है. पौराणिक कथा के अनुसार चातुर्मास की शुरुआत होते ही भगवान विष्णु पाताल लोक में विश्राम पर चले जाते हैं. इन दिनों वे पाताल में विश्राम कर रहे हैं.
Parivartini ekadashi 2021: चातुर्मास का दूसरा महीना आरंभ हो चुका है. पौराणिक कथा के अनुसार चातुर्मास की शुरुआत होते ही भगवान विष्णु पाताल लोक में विश्राम पर चले जाते हैं. इन दिनों वे पाताल में विश्राम कर रहे हैं. इस समय भाद्रपद मास चल रहा है और देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का विश्राम काल समाप्त होता है. चातुर्मास में भगवान विष्णु के सो जाने के कारण इन दिनों कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता. इस विश्राम के दौरान जब पाताल लोक में भगवान विष्णु करवट बदलते हैं, तो उसे परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है. हिंदू धर्म में एकादशी का बड़ा महत्व है. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तिथि को परिवर्तिनी एकादशी मनाई जाती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन भगवान की स्तुति से सभी पापों से मुक्ति मिलती है. परिवर्तिनी एकादशी का महत्व (Parivartini Ekadashi Significance)परिवर्तिनी एकादशी को पाश्रव एकादशी या पद्मा एकादशी (padma ekadashi) भी कहा जाता है. इस दिन व्रत करने से जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने में सहायक माना गया है. भगवान विष्णु के साथ-साथ इस दिन माता लक्ष्मी जी की पूजा-अर्चना भी की जाती है. एकादशी का व्रत एक दिन पहले सूर्यास्त से शुरू होकर एकादशी के अगले दिन सूर्योदय के बाद तक रखा जाता है. पारण के शुभ मुहूर्त (paran shubh muhrat)में ही पारण करने पर व्रत का फल मिलता है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है. इसके व्रत का महत्व वाजपेज्ञ यज्ञ के समान माना गया है. इतना ही नहीं, इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा करने से धन की कमी दूर हो जाती है.More Related News