Parivartini Ekadashi 2021: परिवर्तिनी एकादशी के दिन व्रत रखने से मिलता है वाजपेय यज्ञ का फल, जानें इसका मतलब और व्रत का महत्व
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भादो मास में शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है. इसे जलझूलनी एकादशी या डोल ग्यारस आदि नामों से भी जाना जाता है. इस दिन विष्णु भगवान के वामन अवतार की पूजा की जाती है.
Parivartini Ekadashi 2021: भादो मास में शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है. इसे जलझूलनी एकादशी या डोल ग्यारस आदि नामों से भी जाना जाता है. इस दिन विष्णु भगवान के वामन अवतार की पूजा की जाती है. इस बार परिवर्तिनी एकादशी 17 सितंबर 2021 को मनाई जा रही है. इस दिन भगवान विष्णु योग निंद्रा के दौरान करवट लेटे हैं. इसलिए ही इस एकादशी का नाम परिवर्तिनी एकादशी रखा गया है. इस दिन रखे गए व्रत की भी खूब मान्यता है. कुछ स्थानों पर परिवर्तिनी एकादशी को श्रीकृष्ण के सूरज पूजा (जन्म के बाद होने वाले मांगलिक कार्यक्रम) के रूप में मनाया जाता है. परिवर्तिनी एकादशी का महत्व (Significance of parivartini ekadashi)पुराणों में भी परिवर्तिनी एकादशी के व्रत (parivartini ekadashi vrat) के महत्व के बारे में बताया गया है. कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है उसे सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है. इस दिन विष्णु जी के वामन अवतार की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने वाले को वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है. महाभारत में भी परिवर्तिनी एकादशी के बारे में जिक्र किया गया है. भगवान कृष्ण युधिष्ठिर और अर्जुन को परिवर्तिनी एकादशी के बारे में बताते हैं. शास्त्रों के अनुसार इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा करने से धन की कमी दूर होती है.More Related News