Odisha Train Accident: कवच होता भी तो.. ओडिशा रेल हादसे पर क्या बोले 'फादर ऑफ वंदे भारत'?
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आजतक से खास बातचीत में सुधांशु मणि ने कहा कि पहली दृष्या में ये सिग्नल फेल होने का मामला नहीं लगता, इसका मूल कारण पहली ट्रेन का पटरी से उतरना लगता है. इसके साथ ही उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार को जांच करनी चाहिए कि पहली ट्रेन पटरी से क्यों उतरी.
ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेनों के आपस में टकराने से हुए भयानक हादसे के बाद कवच-एंटी कोलिशन टेक्नोलॉजी की चर्चा एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है. ‘कवच‘ एक टक्कर रोधी तकनीक है. दावा किया जाता है कि ये तकनीक इतनी सटीक है कि अगर दो ट्रेनें पूरी रफ्तार में आमने-सामने आ जाएं तो भी टक्कर नहीं होगी और इससे अगले 5 किलोमीटर के दायरे में सभी ट्रेन बंद हो जाएंगी. लेकिन फादर ऑफ वंदे भारत एक्सप्रेस कहे जाने वाले सुधांशु मणि का कहना है कि कवच इस दुर्घटना को नहीं रोक सकता था. हालांकि अभी ये साफ नहीं है कि हादसे की शिकार ट्रेनों में कवच लगा हुआ था या नहीं.
"पहली ट्रेन पटरी से क्यों उतरी?"
आजतक से खास बातचीत में सुधांशु मणि ने कहा कि पहली दृष्या में ये सिग्नल फेल होने का मामला नहीं लगता, इसका मूल कारण पहली ट्रेन का पटरी से उतरना लगता है. इसके साथ ही उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार को जांच करनी चाहिए कि पहली ट्रेन पटरी से क्यों उतरी. उन्होंने कहा कि कोरोमंडल एक्सप्रेस का चालक जिस गति से चल रहा था, वह अवरोध को देखकर ब्रेक नहीं लगा सकता था.
"बुनियादी ढांचे में सुधार की जरूरत"
सुधांशु मणि का कहना है कि सरकार को बुनियादी ढांचे में सुधार पर ध्यान देना चाहिए. यहां तक कि वंदे भारत भी उस गति से नहीं चल रही है, जिसके लिए इसे डिजाइन किया गया है क्योंकि बुनियादी ढांचे में सुधार की आवश्यकता है. इसके साथ ही सुधांशु ने वंदे भारत की लॉन्चिंग पर बात करते हुए कहा कि मुझे नहीं लगता कि वंदे भारत लॉन्च करने पर फोकस होना चाहिए, बल्कि मौजूदा सिस्टम को भी अपग्रेड किया जाना चाहिए.
"ट्रैक के रखरखाव को प्राथमिकता देने की जरूरत"
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