'No Hindi- English, only Kannada', भाषावाद से तंग आकर छोड़ी बेंगलुरु की नौकरी, महिला ने सुनाया किस्सा
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बेंगलुरु में काम कर रही एक उत्तर भारतीय महिला ने भाषाई भेदभाव का सामने करने के चलते नौकरी छोड़कर गुरुग्राम लौटने की बात कही है. उन्होंने ट्वीट की एक सीरीज में अपने साथ आई परेशानियों के बारे में बताया है.
बेंगलुरु में उत्तर भारतीय होने पर भेदभाव का सामना कर रही एक महिला ने सोशल मीडिया पर खुलकर अपनी बात कही और बहस छेड़ दी. एक्स पर पोस्ट की एक सीरीज में @shaaninani नाम की महिला यूजर ने लगभग 1.5 साल बेंगलुरु में रहते हुए आई मुश्किलों के बारे में लिखा है. उन्होंने कहा, 'मैं बेंगलुरु में डेढ़ साल से काम कर रही थी. पंजाब में शादी हुई, मैंने पूरे एक साल तक चूड़ा पहना क्योंकि यह मेरे यहां परंपरा का हिस्सा है. लेकिन यहां लोगों ने इससे बस मेरा उत्तर भारतीय होना पहचाना.'
'ऑटो में ट्रैवल करना भी हैरासमेंट था'
यह बताते हुए कि स्थानीय लोगों के साथ उनका अनुभव कितना खराब था, महिला ने लिखा, 'फ्लैट से ऑफिस और ऑफिस से वापस जाने के लिए ऑटो में ट्रैवल करना भी हैरासमेंट था. ऑटो वाले ये तक पूछने की हिम्मत कर लेते थे कि मैं उत्तर भारत से हूं तो यहां क्या कर रही हूं. क्या मैं कन्नड़ सीख रही हूं या नहीं , मुझे यहां के मौसम के अलावा क्या पसंद है? मुझसे अधिक किराया लिया जाता था. जब मैं हिन्दी/इंग्लिश में बात करती थी तो लोग एक शब्द भी न समझने का नाटक करते थे.'
'No Hindi, no English, only Kannada'
केवल ऑटो-रिक्शा वाले ही नहीं, बल्कि महिला ने यह भी दावा किया कि उसे BESCOM (बैंगलोर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी लिमिटेड) के कस्टमर केयर से बात करने में भी मुश्किल हुई.उन्होंने कहा, 'एक बार जब मैंने बिजली कटौती के बारे में शिकायत करने के लिए BESCOM को फोन किया, तो उस व्यक्ति ने 'No Hindi, no English, only Kannada' कहकर कॉल काट दी. वे केवल कन्नड़ भाषियों की समस्याओं को सुनना चाहते हैं.'
'नौकरी छोड़कर एनर्जी में भारी बदलाव महसूस हुआ'
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