National Handloom Day: वादों के अंधेरे में गुम हैंडलूम उद्योग, जमीन पर नहीं उतरीं योजनाएं
NDTV India
देश में बुनकरों के ताने-बाने में गंगा जमुनी तहजीब दिखती है. इसकी पूरी कड़ी को अगर समझेंगे तो ज्यादातर गद्दी दार हिंदू हैं, तो मास्टरविवर मुसलमान और उनके नीचे जो कारीगर हैं, उसमें मुसलमान भी हैं और हिंदू भी.
7 अगस्त को हैंडलूम दिवस है, लेकिन हैंडलूम की बेबसी देखिए की उपेक्षा के अंधेरे में यह इतना धकेला गया कि आज खुद हैंडलूम बुनकरों को ही इस दिवस की याद नहीं. वाराणसी के छितनपुरा के नुमान अंसारी और पीली कोठी के अब्दुल रहीम बुनकर से हैंडलूम दिवस की कुछ जानकारी लेनी चाही, तो उन्होंने कहा कि हम लोगों को तो अब याद भी नहीं है किस दिन हैंडलूम दिवस होता है. यह बात सिर्फ दो बुनकरों की नहीं है, बल्कि पूरी बुनकर बिरादरी को यह दिवस याद नहीं. जो सरकार इनके हालात को सुधारने का दम भरती है, करोड़ों रुपए की योजनाओं का ऐलान करती है. बनारस में बुनकर दिवस मना कर कई वादे करती है. वह सरकार खुद ही इस दिवस को भूल गई है. वर्ष 2016 में जब स्मृति ईरानी कपड़ा मंत्री थीं, तो बनारस में दूसरा हैंडलूम दिवस कार्यक्रम बड़ी धूमधाम से हुआ था. उसमें कई बड़े वादे किए गए थे. उस कार्यक्रम में हैंडलूम उत्पाद से जुड़े 40 लोगों को अलग-अलग विधाओं में पुरस्कार से नवाजा भी गया था. इन पुरस्कारों की श्रेणी में हैंडलूम की डिजाइन पर पुरस्कार, हथकरघा उद्योग के मार्केटिंग के लिये पुरस्कार, ई-कॉमर्स के जरिये हैंडलूम उद्योग के लिए पुरस्कार, बेस्ट डिजाइन पुरस्कार, वुमेन श्रेणी में पुरस्कार, वेस्टर्न वुमेन एंड मेन श्रेणी में पुरष्कार, इंडो वेस्टर्न डिजाइन पुरस्कार, निफ्ट डिजाइन पुरस्कार थे.More Related News