MVA में तनातनी की वजह से MLC चुनाव में नुकसान? वोटिंग से एक रात पहले हुआ तगड़ा सियासी ड्रामा
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चुनाव के नतीजों के मुताबिक शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार मिलिंद नार्वेकर ने 22 प्रथम वरीयता वोटों से जीत हासिल की, इसमें उद्धव गुट के 15, एक वोट निर्दलीय मिला है, जबकि कांग्रेस का दावा है कि उनके 7 वोट मिलिंद नार्वेकर को मिले हैं, जबकि उद्धव गुट कहना है कि कांग्रेस के सिर्फ 6 वोट ही मिले हैं.
महाराष्ट्र में हाल ही में हुए विधान परिषद के चुनावों से विपक्षी गठबंधन MVA के राजनीतिक समीकरणों को तगड़ा झटका लगा है. भले ही ऐसा लग रहा हो कि शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार मिलिंद नार्वेकर ने कांग्रेस के वोटों के सहारे आसान जीत हासिल कर ली है, लेकिन मतदान से पहले कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव गुट) के बीच पर्दे के पीछे काफी सियासी ड्रामा हुआ था. बता दें कि महाराष्ट्र में NDA के महायुति गठबंधन ने 11 में से 9 सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि INDIA ब्लॉक के खाते में सर्फ 2 सीटें ही आई हैं.
चुनाव के नतीजों के मुताबिक शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार मिलिंद नार्वेकर ने 22 प्रथम वरीयता वोटों से जीत हासिल की, इसमें उद्धव गुट के 15 और एक निर्दलीय वोट शामिल है, जबकि कांग्रेस का दावा है कि उनके 7 वोट मिलिंद नार्वेकर को मिले हैं, लेकिन उद्धव गुट का कहना है कि कांग्रेस के 7 नहीं, सिर्फ 6 वोट ही नार्वेकर को मिले हैं, तभी उनका वोट काउंट 22 हुआ है वह दूसरे दौर में चुनाव जीते हैं. जानकारी के मुताबिक उद्धव गुट के नेताओं को कांग्रेस के विश्वसनीय वोटों को हासिल करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी, क्योंकि उनकी पहली लिस्ट में ऐसे नाम थे, जिनके बारे में उद्धव गुट को डर था कि वे चुनाव में क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं. इसमें मोहनराव हंबार्डे, हीरामणि खोसकर, सुलभा खोडके, कुणाल पाटिल और शिरीष चौधरी जैसे कांग्रेस विधायकों के नाम शामिल थे.
कांग्रेस के नेता 2 गुट में बंटे
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस नेता इस बात पर 2 गुटों में बंट गए थे कि उद्धव गुट के उम्मीदवार मिलिंद नार्वेकर का समर्थन किया जाए या शरद पवार समर्थित उम्मीदवार जयंत पाटिल का, जो किसान और कामगार पार्टी (PWP) के नेता हैं. दरअसल, कांग्रेस के पृथ्वीराज चव्हाण, बंटी पाटिल, नसीम खान और नाना पटोले ने उद्धव गुट का समर्थन किया और उद्धव गुट को जरूरी 7 वोटों का कोटा दिया, जबकि कांग्रेस के ही विजय वडेट्टीवार और बालासाहेब थोराट एनसीपी (एसपी) के पक्ष में थे, जिससे उद्धव गुट के उम्मीदवार के लिए खतरा पैदा हो गया. उद्धव गुट के नेता अनिल देसाई, विनायक राउत और वरुण सरदेसाई ने कांग्रेस के वडेट्टीवार और थोराट का कड़ा विरोध किया और खुले तौर पर अविश्वास जताया.
वोटिंग से पहले हुआ सियासी ड्रामा
वहीं, 12 जुलाई को मतदान से एक रात पहले इंटरकॉन्टिनेंटल होटल में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी रमेश चेनिथाला और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में हुई बैठक में दोनों पक्षों के बीच तीखी नोकझोंक के बाद प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व द्वारा प्रस्तावित नामों में बदलाव किया गया. आखिरकार उद्धव गुट के समर्थन में नाना पटोले, के.सी. पडवी, सुरेश वरपुडकर, शिरीष चौधरी, सहसराम कोरोटे, मोहनराव हंबार्डे और हीरामन खोसकर के 7 नामों पर प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया गया. बैठक चल ही रही थी कि तभी शरद पवार खेमे के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल, विधायक जितेंद्र आव्हाड के साथ जयंत पाटिल के बेटे नृपाल पाटिल और भतीजे निनाद पाटिल भी देर रात वहां पहुंच गए.
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