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MVA की कलह में उद्धव ठाकरे ज्यादा दोषी हैं या कांग्रेस, किसे बाहर जाना चाहिये? | Opinion
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महाविकास आघाड़ी और महायुति में झगड़े का लेवल तो करीब करीब एक जैसा ही हो गया है. लेकिन, उद्धव ठाकरे के समर्थकों और कांग्रेस नेताओं के बीच टकराव तेजी से बढ़ रहा है. क्या ये टकराव गठबंधन के टूटने तक जा सकता है?
MVA यानी महाविकास आघाड़ी में कलह तो तब भी रहती थी, जब उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हुआ करते थे. कलह तब भी मची हुई थी, जब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर उद्धव ठाकरे दावेदारी पेश कर रहे थे - और कलह अब भी मची हुई है, जब उद्धव ठाकरे सहित MVA के सारे ही सहयोगी बुरी तरह चुनाव हार चुके हैं.
पहले हो रही कलह, और अब हो रही कलह में एक बुनियादी फर्क ये है कि पहले कलह के बावजूद सारे घटक दल उद्धव ठाकरे की शिवसेना, कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी के बीच एक दूसरे का साथ छोड़ने जैसी बातें नहीं होती थीं, जैसा चुनाव के दौरान महायुति में अजित पवार के तेवर और उस पर देवेंद्र फडणवीस की प्रतिक्रिया में देखने को मिल रहा था.
असल में, लोकसभा चुनाव तक तीनो ही दलों के नेताओं के मन में डर था. कांग्रेस का डर अलग तरीके का था. उद्धव ठाकरे और शरद पवार के मन में अलग तरीके का डर था. उद्धव ठाकरे और शरद पवार दोनो ही एक ही कैटेगरी के पीड़ित थे, दोनो ही अपनी अपनी पार्टी अपने ही लोगों के हाथों गवां चुके थे. जो व्यवहार एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के साथ किया था, ठीक वैसा ही बर्ताव अजित पवार का शरद पवार के साथ था. कांग्रेस का डर अलग था, क्योंकि वो तो पहले तीसरे नंबर की पार्टी हुआ करती थी.
लोकसभा चुनाव के नतीजों ने पूरा सीन बदल दिया, क्योंकि लोकसभा चुनाव के नतीजे खोई हुई ताकत के लौटने जैसा था. लेकिन, ये सब अस्थाई भाव होता है, ये बात किसी को याद नहीं रही. मिलकर जीत सुनिश्चित करने के बजाय सब के सब अपना अपना मुख्यमंत्री और मंत्रालय तय करने लगे थे - और ये सारी बातें धीरे धीरे अब सामने आने लगी हैं.
महाविकास आघाड़ी में स्थिति तनावपूर्ण और नियंत्रण के बाहर लग रही है
एनसीपी नेता अजित पवार तो चुनाव नतीजे आने से पहले ही बता दिये थे कि महाराष्ट्र में सिर्फ सत्ता हासिल करने की होड़ है, और यही वजह है कि विचारधारा का कोई मतलब नहीं रह गया है. ये बात अजित पवार ने तब कही थी जब वो दिल्ली की अडानी वाली मीटिंग का एक इंटरव्यू में जिक्र कर रहे थे, जिसमें शरद पवार और अमित शाह के भी शामिल होने का दावा किया गया था.
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