MP: लड़के के साथ घूम रही युवती से बदसलूकी, जबरदस्ती उतरवाया बुर्का
AajTak
वीडियो में दिख रहा है कि युवक-युवती से लोग बदसलूकी करते हुए लड़की पर बुर्का उतारने के लिए दबाव बना रहे हैं. लड़का उन लोगों को समझा भी रहा है, लेकिन इसी दौरान एक महिला पीछे से आकर युवती का बुर्का खींच देती है और लड़की का चेहरा दिखने लगता है लेकिन लड़की अपने साथ आए लड़के के पीछे छिपने की कोशिश कर रही है.
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. वीडियो में कुछ लोग युवक-युवती के साथ बदसलूकी करते नजर आ रहे हैं. वीडियो भोपाल के ईटखेड़ी थाना स्थित इस्लामनगर का बताया जा रहा है. वीडियो में कुछ लोग युवती के बुर्का पहनने पर एतराज जता रहे हैं और लगातार उसे बुर्का उतारने का दबाव बना रहे हैं. घटना शनिवार की है.
सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह रही कि खींवसर को तीन क्षेत्रों में बांटकर देखा जाता है और थली क्षेत्र को हनुमान बेनीवाल का गढ़ कहा जाता है. इसी थली क्षेत्र में कनिका बेनीवाल इस बार पीछे रह गईं और यही उनकी हार की बड़ी वजह बनी. आरएलपी से चुनाव भले ही कनिका बेनीवाल लड़ रही थीं लेकिन चेहरा हनुमान बेनीवाल ही थे.
देश का सबसे तेज न्यूज चैनल 'आजतक' राजधानी के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में तीन दिवसीय 'साहित्य आजतक' महोत्सव आयोजित कर रहा है. इसी कार्यक्रम में ये पुरस्कार दिए गए. समारोह में वरिष्ठ लेखकों और उदीयमान प्रतिभाओं को उनकी कृतियों पर अन्य 7 श्रेणियों में 'आजतक साहित्य जागृति सम्मान' से सम्मानित किया गया.
आज शाम की ताजा खबर (Aaj Ki Taza Khabar), 23 नवंबर 2024 की खबरें और समाचार: खबरों के लिहाज से शनिवार का दिन काफी अहम रहा है. महाराष्ट्र में नतीजे आने के बाद सूत्रों की मानें तो एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पर पर अपना दावा ठोका है. सीएम योगी ने यूपी उपचुनाव के नतीजों को पीएम मोदी के नेतृत्व की जीत बताया है.
हिंदी साहित्य के विमर्श के दौरान आने वाले संकट और चुनौतियों को समझने और जानने की कोशिश की जाती है. हिंदी साहित्य में बड़े मामले, संकट और चुनने वाली चुनौतियाँ इन विमर्शों में निकली हैं. महत्वपूर्ण विचारकों और बुद्धिजीवियों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं. हिंदी साहित्यकार चन्द्रकला त्रिपाठी ने कहा कि आज का विकास संवेदन की कमी से ज्यादा नजर आ रहा है. उन्होंने कहा कि व्यक्ति प्रेम के लिए वस्तुओं की तरफ झूक रहा है, लेकिन व्यक्ति के प्रति संवेदना दिखाता कम है. त्रिपाठी ने साहित्यकारों के सामने मौजूद बड़े संकट की चर्चा की. ये सभी महत्वपूर्ण छोटी-बड़ी बातों का केंद्र बनती हैं जो हमें सोचने पर मजबूर करती हैं.