MP: खरगोन में पीएम आवास योजना का मकान वन विभाग ने गिराया, शख्स ने फांसी लगाकर दी जान
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डिविजनल फॉरेस्ट अधिकारी प्रशांत कुमार सिंह ने कहा कि ध्यान सिंह (45) के रूप में पहचाने जाने वाले व्यक्ति ने वन भूमि पर कब्जा किया हुआ था. उन्होंने कहा कि करीब एक महीने पहले अतिक्रमण हटा लिया गया था और व्यक्ति को उसका पक्ष जानने के लिए एक नोटिस भी दिया गया था.
मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में एक शख्स ने खुद को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. इसके बाद से उसके परिवार वालों और आस पास के लोगों ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बन रहे उनके घर को वन विभाग ने ध्वस्त कर दिया है और इसी कारण उन्होंने ये कदम उठाया है. हालांकि, डिविजनल फॉरेस्ट अधिकारी प्रशांत कुमार सिंह ने कहा कि ध्यान सिंह (45) के रूप में पहचाने जाने वाले व्यक्ति ने वन भूमि पर कब्जा किया हुआ था. उन्होंने कहा कि करीब एक महीने पहले अतिक्रमण हटा लिया गया था और व्यक्ति को उसका पक्ष जानने के लिए एक नोटिस भी दिया गया था.
कसरावद के सब डिविजनल ऑफिसर (रेवेन्यु) अग्रिम कुमार ने कहा कि मंगलवार दोपहर को नवलपुरा गांव में व्यक्ति ने अपने घर में फांसी लगा ली, जिसके बाद खरगोन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने इसकी मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए.
मृतक के बेटे राजू ध्यान सिंह ने आरोप लगाया कि वन विभाग ने बिना किसी पूर्व सूचना के प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत स्वीकृत उनके घर को ध्वस्त कर दिया और उनके माता-पिता को पीटा भी गया. उन्होंने दावा किया कि वन विभाग द्वारा परेशान किए जाने के बाद उनके पिता ने यह कदम उठाया है. गोपालपुरा के पंचायत सचिव मुन्नालाल सिसोदिया ने कहा कि मृतक को घर के लिए पीएमएवाई के तहत पहली किस्त के रूप में राशि आवंटित की गई थी, लेकिन वन विभाग ने प्रारंभिक निर्माण को ध्वस्त कर दिया.
सब डिविजनल ऑफिसर (रेवेन्यु) अग्रिम कुमार ने कहा कि व्यक्ति के आत्महत्या करने के बाद स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है और सड़क जाम कर दिया है. उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि वन विभाग ने पीएमएवाई के तहत स्वीकृत घर के शुरुआती निर्माण को ध्वस्त कर दिया. उन्होंने कहा कि वन विभाग ने वन भूमि पर अतिक्रमण के लिए व्यक्ति को नोटिस भी जारी किया था. कुमार ने कहा कि वह 15 दिनों के भीतर जिला कलेक्टर को जांच रिपोर्ट सौंपेंगे. आदिवासी राजनीतिक संगठन जय आदिवासी युवा शक्ति के स्थानीय पदाधिकारी दयाराम कुर्कू ने कहा कि उन्होंने प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा है और वन अधिकारियों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज करने की मांग की है. संगठन ने मृतक के बेटे के लिए सरकारी नौकरी और परिवार के लिए 50 लाख रुपये की सहायता की भी मांग की है. इस बीच, खरगोन के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट नारायण सिंह बडकुल ने कहा कि स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों के समझाने के बाद ग्रामीणों ने धरना समाप्त कर दिया.
उन्होंने कहा कि कलेक्टर ने मृतक के परिवार को जिला रेडक्रास कोष से तत्काल 25 हजार रुपये की आर्थिक सहायता स्वीकृत की है और नियमानुसार अन्य सहायता उपलब्ध कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. खरगोन के पुलिस अधीक्षक धर्मवीर सिंह ने कहा कि पुलिस हर संभव एंगल से मामले की जांच कर रही है.
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