MCD चुनाव: तीनों निगम एक हुए तो CM से ज्यादा पावरफुल होगा मेयर, वार्डों की संख्या घटने-बढ़ने पर सस्पेंस
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दिल्ली एमसीडी चुनावों को लेकर राजनीतिक दल काफी सक्रिय दिख रहे हैं. एक हफ्ता बीत जाने के बाद भी अभी तक दिल्ली निगम चुनाव की तारीखों को स्पष्ट नहीं किया जा सका है. अब खबर है कि समय को ध्यान में रखते हुए एकीकरण को लेकर संसद इसी हफ्ते निगमों पर फैसला ले सकती है.
एक हफ्ते से ज्यादा वक्त बीत चुका है, लेकिन अभी तक MCD चुनावों की स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है. दिल्ली राज्य निर्वाचन आयोग दिल्ली नगर निगम चुनाव की तारीखों का ऐलान कब करेगा? तीनों निगमों के एकीकरण पर एकराय सभी सियासी पार्टियां अपने नफा नुकसान में जुटी हैं. वहीं खबर है कि इसी हफ्ते संसद में तीनों निगमों को एक करने का प्रस्ताव आ सकता है.
सूत्रों ने बताया कि चूंकि दिल्ली नगर निगम में चुनाव 18 मई से पहले करवाना है और राज्य निर्वाचन आयोग को एक महीने का वक्त भी चाहिए कि वो तारीखों को घोषित कर सके. ऐसे में संसद कोई भी फैसला तारीखों को ध्यान में रखकर करेगी. लिहाजा 16 अप्रैल से पहले संसद को फैसला लेना होगा.
दिल्ली में निगम चुनाव टालने और BJP के चुनाव से भागने के आरोप आम आदमी पार्टी ने लगाए हैं. इस आरोप पर बीजेपी प्रदेश महामंत्री कुलजीत चहल ने कहा कि 4 विधानसभा चुनावों में जमानत जब्त कराने वाली पार्टी ओवर कान्फिडेंस में है. वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ये दावा कर चुके हैं कि अभी एमसीडी के चुनाव हुए तो बीजेपी सिर्फ 50 सीटों में ही सिमट जाएगी. तीनों निगम होंगे भंग या बढ़ेगा कार्यकाल?
दिल्ली राज्य निर्वाचन आयोग के मुताबिक, निगम का कार्यकाल आधिकारिक तौर पर 18 मई है. ऐसे में वर्तमान निगम का कार्यकाल बढ़ेगा या एकीकरण में निगम भंग हो जाएंगे, ये बड़ा सवाल है. निगम के भंग होने की स्थिति में एडमिनिस्ट्रेटर को कंट्रोलिंग पावर सौंपी जा सकती है.
कैसी होगी बदले हुए दिल्ली नगर निगम की तस्वीर मेयर होगा पावरफुल खबर है कि दिल्ली सरकार का दखल निगम में बेहद कम करने के लिए मेयर-इन-काउंसिल व्यवस्था अपनाई जा सकती है, जिसमें मेयर और उसके पार्षदों को शहर के लोग सीधे चुनेंगे. अगर ऐसा होता है तो वो सीएम से ज्यादा प्रभाव वाला माना जाएगा, क्योंकि सीएम तो सिर्फ एक विधानसभा से विधायक के तौर पर चुना जाता है. वहीं मेयर और पार्षदों का कार्यकाल बढ़ाने पर भी विचार किया जा रहा है.
वार्ड संख्या घटेगी या बढ़ेगी?
पिछले हफ्ते तक कैलाश गहलोत अरविंद केजरीवाल सरकार में मंत्री थे. उन्होंने न केवल मंत्री पद से इस्तीफा दिया, बल्कि आप पार्टी भी छोड़ दी. इसके अगले ही दिन बीजेपी ने उन्हें बड़े धूमधाम से पार्टी में शामिल कर लिया. कैलाश गहलोत ने हाल ही में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ बीजेपी के एक बड़े विरोध प्रदर्शन में भी हिस्सा लिया था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वे अब पूरी तरह से बीजेपी के साथ हैं.
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