
Mandar Parvat: बिहार के बांका में है वो पर्वत जिससे हुआ था समुद्र मंथन, निकले थे 14 रत्न और कालकूट विष, जानें पूरी कहानी
ABP News
मंदार पर्वत 750 फीट का सुडौल पर्वत है, इसमें पूरब से पश्चिम की ओर अवरोही क्रम में कुल सात श्रृंखलाएं हैं. पर्वत के नीचे पूरब की ओर एक पापहारिणी नामक सरोवर है.
बांका: सभ्यताओं के उत्थान-पतन से ही इतिहास के चेहरे सजते और बिगड़ते हैं. इतिहास निर्माण में पर्वतों और नदियों की विशेष भूमिका रही है. भारत की पहचान पर्वतों और नदियों पर आधारित है. लेकिन विज्ञान की बढ़ती हुई प्रयोगों ने पहचान के मापदंड को ही बदल दिया है. बिहार के बांका जिले के बौंसी-बाराहाट प्रखंड के सीमा पर अवस्थित मंदार पर्वत विश्व-सृष्टि का एकमात्र मूक गवाह है. इतिहास में आर्य और अनार्य के बीच सौहार्द्र बनाने के लिए समुद्र मंथन किया गया था, जिसमें मंदार मथानी (Churning Rod) के रूप में प्रयुक्त हुआ था. अपार घर्षण और पीड़ा झेलकर भी उसने सागर के गर्भ से चौदह महारत्न निकालकर मानव कल्याण के लिए संसार को दिया. फिर भी, दुनिया की भूख नहीं मिटी. तब भी लोग पर्वत के अस्तित्व पर उंगलियां उठाने से बाज नहीं आते. इसके शीर्ष पर भगवान मधुसूदन, मध्य में सिद्धसेनानी कामचारिणी, महालक्ष्मी, महाकाली और महासरस्वती के साथ पाद में गणेश की अवस्थिति है, पर्वत पर दुर्गम ऋषि-कुण्ड और गुफाएं हैं, जिसमें सप्तर्षियों का निवास है.More Related News