Mahima Shanidev Ki: शनिदेव की माता के लिए नाना विश्वकर्मा ने अपनी बेटी संध्या को बंधक बनाया, जानिए कैसे मिली मुक्ति
ABP News
Mahima Shanidev Ki: शनिदेव मां के प्राण बचाने कैलास गए. सूर्यदेव की पत्नी संध्या तप से लौटने वाली थीं, उनके सामने आने पर छाया का अंत हो सकता था, ऐसे में विश्वकर्मा ने खुद संध्या को बंधक बना लिया.
Mahima Shanidev Ki : शनिदेव (Shani Dev) के न्यायधिकारी हैं, यह सच जान चुके देवविश्वकर्मा उनकी माता छाया को अपनी पुत्री की तरह मानने लगे थे, लेकिन अपनी बेटी संध्या के लौटने पर छाया के अंत को देखते हुए वह बेहद चिंतित थे. ऐसे में जब शनिदेव माता छाया के प्राण बचाने के लिए महादेव से मिलने कैलास के कठिन मार्ग पर रवाना हुए तो विश्वकर्मा ने छाया की देखभाल की. इधर सूर्य पत्नी संध्या पति के ताप से बचने के लिए तप पूरा कर सूर्यलोक लौटने लगीं तो विश्वकर्मा खुद उनके पास पहुंच गए. विश्वकर्मा ने उन्हें सूर्यलोक जाने की बजाय पहले मायके चलने के लिए कहा. पिता के प्रेम के वशीभूत संध्या भी पिता के साथ विश्वकर्मा महल आ गईं.
संध्या ने ठुकराया पिता का आग्रहकुछ समय तक पिता के पास रहीं संध्या ने एक दिन उनसे आज्ञा लेकर सूर्यलोक लौटना चाहा तो एक बार फिर विश्वकर्मा ने उन्हें रोक दिया. उन्होंने संध्या से छाया के बारे में पूछा तो वह सकपका गईं और बिना पति को बताए अपनी छाया छोड़कर जाने की बात स्वीकार कर ली. फिर संध्या ने सूर्यलोक जाने की जिद्द की तो पिता ने महल में उन्हें शक्तियों से कैद कर दिया. न उन्हें कोई देख सकता था, न सुन सकता था. वह खुद भी उस वृत्त से बाहर नहीं आ सकती थीं. इस बीच सूर्यलोक में छाया की हालत में सुधार नहीं होता देखकर सूर्यदेव फिर उपचार के लिए विश्वकर्मा महल लौटे. मगर देवविश्वकर्मा के प्रतिबंध के चलते सूर्यदेव भी उन्हें नहीं देख सके.