Mahima Shani Dev Ki: शनिदेव को देवी संध्या ने सूर्य के ताप से किया भस्म, जानिए कैसे बचे दंडनायक
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Mahima Shani Dev Ki: दंडनायक शनि देव से पराजित सूर्य देव को बंधक बनाए जाने पर गुस्से से भरी उनकी पत्नी संध्या ने बदला लेने के लिए सूर्य से ही ताप लेकर शनि को भस्म करना चाहा. पढ़िए रोचक कथा
Mahima Shani Dev Ki: शनिदेव के प्रहारों से परास्त हो चुके सूर्यदेव पुत्र यम और इंद्र के साथ काकलोक में बंधक बना दिए गए. अपनी आंखों के सामने अपने पति और देवराज सूर्यदेव की हार से देवी संध्या आक्रोश से भर उठीं. वह बंधक बनाए गए पति और पुत्र की खोज के लिए चोरी चुपके से काकलोक के बंदीगृह में दाखिल हो गईं. वहां उन्होंने सूर्यदेव से शनि का अंत करने के लिए अपने तप को और मारक बनाने के लिए उनका तेज मांगा. सूर्यदेव देवलोक को मुक्त कराने के लिए तेज देने के लिए राजी हो गए. इस बीच भगवान विश्वकर्मा ने महादेव से शनि को दंडनायक स्वरूप से कर्मफलदाता के रूप में लौटाने की प्रार्थना की. साथ ही संध्या को चेताया कि वह शनि के प्रकोप से बचने के लिए उनसे अपने गलत कृत्यों के लिए माफी मांग लें. मगर इस बार भी संध्या ने हठ जारी रखा और पिता को तिरस्कृत करते हुए नजरों से दूर हो जाने की चेतावनी दे डाली. मजबूर होकर विश्वकर्मा कैलाश पर महादेव की शरण में चले गए.
छाया का रूप धरकर शनिदेव को धोखा दियादेवलोक जीतने के बाद शनि देव सूर्यलोक को भी अधीन करने के लिए पहुंचे तो वहां उन्हें यम की बहन और सूर्यदेव की पुत्री यमी मिलीं. शनि देव ने उन्हें आश्वास्त किया वह उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे. ऐसे में यमी ने पिता सूर्यदेव और भाई को मुक्त करने की प्रार्थना की तो शनिदेव ने दो टूक इनकार कर दिया. दंडनायक ने कहा कि सभी देवताओं को उनके कर्मों की सजा देकर ही उन्हें मुक्त करेंगे. पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी समय संध्या शनि का अंत करने के लिए छाया की भाव भंगिमा में सामने आ जाती हैं. यह देखकर शनिदेव द्रवित हो उठते हैं. संध्या उन्हें गले लगाने के लिए माता छाया की तरह लाड़ देने का स्वांग रचती हैं. शनि यह देखकर उनकी ओर बढ़ते हैं, लेकिन उसकी वक्त राहु और वाहन काकोल उन्हें चेतावनी देते हुए रोक देते हैं. वे उन्हें बताते हैं कि यह जरूर कोई साजिश है, ऐसे में शनि को संध्या से दूर ही रहना चाहिए. इस पर शनि कहते हैं कि मां कोई भी हो अगर वह शनि को पुकारेगी तो वह उस तक जरूर जाएंगे. इतना कहकर शनि बाहें फैलाएं संध्या के गले लग जाते हैं, लेकिन संध्या अपना ताप बढ़ाकर उन्हें जलाने लगती हैं, जिसकी पीड़ा से भरकर शनि कराह उठते हैं. वे खुद को संध्या से खुद को छुड़ाने का प्रयास करते हैं, लेकिन नाकाम रहते हैं. असली माता छाया आकर बचाती हैं प्राणभयंकर ज्वाला में जलते तड़पते शनि को देखकर उसी वक्त संध्या की परछाई से निकलकर माता छाया शनि को ढक लेती हैं, जिससे संध्या के ताप से लगी आग बुझ जाती है और शनि देव के प्राण बच जाते हैं. यह देखकर संध्या वहां से भागने का प्रयास करती हैं, लेकिन शनि उन्हें रोक लेते हैं. वह उन्हें बताते हैं कि माता छाया से देवी संध्या का गहरा संबंध हैं और उनके जरिए ही उन्हें माता छाया मिलीं, इसलिए वह कभी भी संध्या को कभी नुकसान नहीं पहुंचाएंगे, लेकिन लगातार साजिश रचने के चलते उन्हें वह हमेशा के लिए दृष्टिबंध कर देते हैं. इस तरह शनिदेव माता छाया की वजह से देवी संध्या के कपट से बच गए.