
Mahabharat : गुरु द्रोण से बदला लेने को द्रोपदी के भाई बनकर जन्मे थे एकलव्य
ABP News
महाभारत काल की कथाओं में गुरु द्रोणाचार्य और एकलव्य का प्रसंग गुरु दक्षिणा के संबंध में मशहूर है, लेकिन इसी शिष्य ने गुरु से इस धोखे का बदला लेने के लिए दोबारा जन्म लिया.
Mahabharat : महाभारत काल की कथाओं में गुरु द्रोणाचार्य और एकलव्य का प्रसंग गुरु दक्षिणा के संबंध में मशहूर है, लेकिन इसी शिष्य ने गुरु से इस धोखे का बदला लेने के लिए दोबारा जन्म लिया. इसके लिए उन्हें श्रीकृष्ण के हाथों मरना पड़ा और उनके वरदान से ही वह द्रौपद के बेटे धृष्टाधुम्न के तौर महाभारत युद्ध में द्रोण के काल बने. पौराणिक कथाओं के अनुसार एकलव्य पूर्व जन्म में भगवान कृष्ण के चचेरे भाई थे. वह श्रीकृष्ण के पिता वासुदेव के भाई देवश्रवा के पुत्र थे. एक दिन देवश्रवा जंगल में खो जाते हैं, जिन्हें हिरान्यधाणु खोजते हैं, इसलिए एकलव्य को हिरान्यधाणु का पुत्र भी कहा जाता है.More Related News