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Mahabharat : इन सात महिलाओं के आगे बड़े से बड़े योद्धा भी हार मान गए
ABP News
भारतवर्ष के इतिहास में मातृशक्ति का समय-समय पर अति महत्वपूर्ण योगदान रहा है. आइए जानते हैं कुछ ऐसी ही महिलाओं की कहानियां.
Mahabharat : भारतवर्ष के इतिहास में मातृशक्ति का समय-समय पर अति महत्वपूर्ण योगदान रहा है खासतौर पर महाभारत और रामायण काल में उनकी भूमिकाएं अद्भुत रही हैं. इन दोनों ही काल में महिलाएं जितनी स्वतंत्र उतनी परतंत्र भी थीं, लेकिन कई मौकों पर उन्होंने अपनी जिद या ज्ञान-शौर्य के आगे बड़े-बड़े महारथियों को भी लोहे के चने चबा दिए. आइए जानते हैं कुछ ऐसी ही महिलाओं की कहानियां. महारानी सत्यवती : राजा शांतनु की पहली पत्नी गंगा के जाने के बाद वह एक मछुआरे की बेटी सत्यवती से प्रेम विवाह कर बैठते हैं, लेकिन सत्यवती इसी शर्त पर उनसे विवाह करने के लिए राजी होती है कि गंगापुत्र देवव्रत नहीं, सत्यवती से जन्मी संतान ही हस्तिनापुर का राज सिंहासन संभालेगी. इसके चलते देवव्रत को ताउम्र ब्रह्मचर्य की भीष्म प्रतिज्ञा लेनी पड़ी. सत्यवती के ऋषि पाराशर से उत्पन्न बेटे वेद व्यास के जरिए ही कुरुवंश में धृतराष्ट्र, पांडु और विदुर जन्मे. सत्यवती जिद न होती तो हस्तिनापुर के सिंहासन पर भीष्म आसीन होते और महाभारत का इतिहास ही कुछ और होता.More Related News