
Lok Sabha 2024: BSP के साथ फेल तो सपा ने कांग्रेस के साथ मिलाया हाथ, BJP के सामने क्या टिक पाएगा अखिलेश का एक्सपेरिमेंट
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आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश का मुकाबला दिलचस्प रहने वाला है. इस बार यहां कांग्रेस और समाजवादी पार्टी साथ में चुनाव लड़ रही हैं, जो इंडिया गठबंधन का हिस्सा है. वहीं बहुजन समाज पार्टी अकेले ताल ठोकेगी तो बीजेपी ने भी जातीय आधारित और क्षेत्री दलों को अपने साथ जोड़ लिया है. आइए समझते हैं कि आखिर सपा-कांग्रेस गठबंधन बीजेपी को चुनौती देने में कितनी कारगर साबित हो सकती है?
आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से कुछ चौंकाने वाले नतीजे देखने को मिल सकते हैं. इस बार यहां समाजवादी पार्टी का गठबंधन बहुजन समाज पार्टी के साथ नहीं हुआ है. अखिलेश यादव इस बार कांग्रेस के साथ मिलकर बीजेपी का किला ढहाने की तैयारी में हैं. एसपी-बीएसपी गठबंधन 2019 में ज्यादा कारगर साबित नहीं हो पाया था और गठबंधन कुछ ही सीटों पर सिमटकर रह गया.
बहुजन समाज पार्टी की चीफ मायावती ने फैसला किया है कि उनकी पार्टी इस बार अकेले ही लोकसभा चुनाव लड़ेगी. मसलन, मुकाबला सपा-कांग्रेस गठबंधन और एनडीए गठबंधन के बीच रहेगा, जिसमें पश्चिम उत्तर प्रदेश में अब राष्ट्रीय लोक दल एनडीए का हिस्सा है. पूर्वांचल क्षेत्र में भी बीजेपी ने कई जातीय आधारित और क्षेत्रीय पार्टियों से गठबंधन कर ली है.
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उत्तर प्रदेश के बीते दो लोकसभा चुनाव की बात करें तो 2014 में बीजेपी गठबंधन ने उत्तर प्रदेश की 80 में 73 सीटें जीतीं और 2019 के चुनाव में अकेले बीजेपी ने 62 सीटें हासिल की थी और सहयोगी अपना दल को दो सीटें मिली थी.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का राजनीतिक समीकरण बीते चुनाव में बीजेपी ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में 23 सीटें जीती थी और सपा-बसपा ने चार-चार सीटें हासिल की थी. बीएसपी ने जहां सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा और नगीना (एससी सीट) जीती तो वहीं सपा ने संभल, मुरादाबाद, मैनपुरी और रामपुर की सीटें हासिल की. गौरतलब है कि, मैनपुरी सीट का प्रतिनिधित्व मुलायम सिंह किया करते थे, जहां अब उनकी बहु डिंपल यादव सांसद हैं. इस बार भी पार्टी ने उन्हें इसी सीट से मैदान में उतारा है.
सेंट्रल उत्तर प्रदेश में बदले समीकरण

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