
Kanyaman: मोहे का 'कन्यामान' रीति-रिवाजों के खिलाफ नहीं, इसका उद्घोष है- परंपरा वही, सोच नई
ABP News
Kanyaman: इस एड फिल्म में किसी भी तरह से रीति-रिवाजों को चुनौती नहीं दी गई है, बल्कि इसी रिवाज को आधुनिक संदर्भों में दिखाया गया है, जहां पर दूल्हा और दुल्हन दोनों की समान भागीदारी है.
Kanyaman: नई मोहे एड फिल्म में एक नए दृष्टिकोण की बात की गई है, बाकी सब कुछ वही रहता है- “क्यूं सिर्फ कन्यादान... नया विचार- कन्यामान!” इस एड फिल्म में किसी भी तरह से रीति-रिवाजों को चुनौती नहीं दी गई है, बल्कि इसी रिवाज को आधुनिक संदर्भों में दिखाया गया है, जहां पर दूल्हा और दुल्हन दोनों की समान भागीदारी है और वे एक दूसरे की जिम्मेदारी का वहन करते हैं.
इस एड फिल्म में दुल्हन के भीतर के मानसिक उहापोह को दिखाया गया है, जो हर लड़की के लिए ऐसे मौके पर स्वाभाविक है. उसके मन में अनेक तरह के सवाल हैं, जो वे एकाकी संवाद के जरिए दर्शकों के सामने रहती है. कन्यामान आधुनिक युग की दुल्हन का प्रतिनिधित्व करता है, जो वैवाहिक जीवन में भी और अन्य क्षेत्रों की तरह पूर्ण रूप से समानता की आशा रखती है और उसका प्रयास करती है.