Kamda Saptami : जीवन में आ रही परेशानियों को दूर करने के लिए करें कामदा सप्तमी व्रत
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Kamda Saptami : भगवान ब्रह्मा ने श्री विष्णु को बताई थी कामदा सप्तमी की महिमा. जानिए किन लोगों को इस व्रत को करने से मिलता है लाभ? क्या है पूजा विधि और इसका महत्व?
Kamda Saptami : कामदा सप्तमी का दिन विशेष रूप से भगवान सूर्य देव को समर्पित है. कामदा सप्तमी का व्रत भक्त मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु करते हैं. प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी यह व्रत किया जाता है और हर चौमासे यानी कि चार माह में व्रत का पारण करना चाहिए. कामदा सप्तमी का व्रत इस बार 9 मार्च 2022 को रखा जाएगा. कामदा सप्तमी व्रत की महिमा स्वयं ब्रह्मा जी ने अपने श्रीमुख से भगवान विष्णु को बतायी थी. इस व्रत को उन लोगों को करने से विशेष लाभ मिलता है जिन्हें संतान नहीं होती है और जिन्हें धन संबंधी समस्याएं लगातार बनी रहती है. ग्रहों के राजा भगवान सूर्यदेव का आर्शीवाद जीवन में आ रही सभी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है. तो चलिए आज आपको विस्तार से बताते हैं कि कैसे इस व्रत को करना चाहिए. क्या है इस व्रत की पूजा विधि और कथा – कामदा सप्तमी का महत्वजिन व्यक्तियों की कुंडली में सूर्य पीड़ित होता है, उनको जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं. ऐसे में कामदा सप्तमी का व्रत विशेष फल देने वाला होता है. इस व्रत को करने से ऐसे व्यक्ति को सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है. सूर्यदेव बलवान होते हैं और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है. क्या है कामदा सप्तमी की पूजा विधि?कामदा सप्तमी से एक दिन पूर्व षष्ठी को एक समय भोजन करके सप्तमी को निराहार रहकर, ‘खरखोल्काय नमः ‘ मंत्र से सूर्य भगवान की पूजा की जाती है. प्रातः स्नानादि के बाद सूर्य भगवान की पूजा की जाती है.- कामदा सप्तमी को निराहार व्रत करना होता है.- प्रातः स्नानादि के बाद सूर्य भगवान की पूजा की जाती है.- सूर्य भगवान का पूजन करके आज घी , गुड़ इत्यादि का दान किया जाता है- सारा दिन “सूर्याय नमः” मंत्र से भगवान का स्मरण किया जाता है.- मंदिर के पुजारी को भोजन करवाकर दक्षिणा दें.- अष्टमी को स्नान करके सूर्य देव का हवन पूजन किया जाता है.- दूसरे दिन ब्राह्मणों का पूजन करके खीर खिलाने का विधान है.
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