JK: बॉर्डर पर कड़ी निगरानी का असर, 4 साल में घुसपैठ में 50 फीसदी से ज्यादा की कमी
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गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल 99 बार घुसपैठ की कोशिश हुई जिसमें सिर्फ 51 आतंकी सीमापार से जम्मू कश्मीर में घुसपैठ कर सके.
सेना और बॉर्डर सिक्युरिटी फ़ोर्स की कड़ी निगरानी और घातक जवाब के चलते आतंकियों के मंसूबे कमजोर हो गए हैं. सेना की सख्ती की बदौलत अब सीमा पार के आतंकियों के जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ पर लगाम लगी है. ये बातें गृह मंत्रालय की तरफ से जारी रिपोर्ट से जाहिर हुई हैं. गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू कश्मीर में पिछले 4 सालों में सीमा पार से आतंकी घुसपैठ में आई भारी गिरावट देखी गई है. गृह मंत्रालय की रिपोर्ट कहती है कि पिछले साल 2020 में 99 बार घुसपैठ की कोशिश हुई जिसमें सिर्फ 51 आतंकी सीमापार से जम्मू कश्मीर में घुसपैठ कर सके. वहीं, 2019 में 216 बार पाकिस्तान की तरफ से आतंकियों की घुसपैठ की कोशिश की गई जिसमें 138 आतंकियों की घुसपैठ की आशंका जताई गई है. जम्मू कश्मीर में "ऑपरेशन आल आउट" चलने के बावजूद साल 2018 में 323 बार पाकिस्तान समर्थित आतंकियों की तरफ से घुसपैठ की कोशिश की गई,जिसमें सुरक्षा बलों को आशंका है कि कुल 143 आतंकी भारतीय सीमा में घुसे थे.महाराष्ट्र के ठाणे में एक बच्ची का शव मिलने के बाद लोग आक्रोशित हो गए. दरअसल उल्हासनगर इलाके में तीन दिनों पहले एक बच्ची लापता हो गई थी जिसके बाद परिजनों ने थाने में गायब होने की रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी. इसी के बाद गुरुवार को उसका शव हिल लाइन पुलिस स्टेशन से कुछ दूरी पर मिला जिसे देखकर स्थानीय लोग भड़क गए.
गौतम अडानी पर आरोप है कि उन्होंने अमेरिका के निवेशकों के पैसे से भारत में सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी और ये रिश्वत भी उन प्रोजेक्ट्स के लिए दी गई, जिससे 20 वर्षों में अडानी ग्रुप की एक कम्पनी को 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर्स यानी भारतीय रुपयों में लगभग 16 हज़ार 881 करोड़ रुपये का मुनाफा होने का अनुमान है. आरोप है कि इस मुनाफे के लिए साल 2021 से 2022 के बीच आंध्र प्रदेश, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ की सरकारों को लगभग 2200 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई.
गौतम अडानी एक बार फिर चर्चा में हैं क्योंकि उन पर सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स के ठेके पाने के लिए भारतीय अधिकारियों को करोड़ों रुपये की रिश्वत देने का आरोप है. इस मामले पर NSUI ने भी प्रदर्शन किया है. इस मुद्दे ने राजनीतिक और व्यावसायिक जगत में खलबली मचा दी है, जिसमें भ्रष्टाचार और व्यापारिक नैतिकता के सवाल शामिल हैं.