Jharkhand: कोयला उद्योग के पेंशनर्स का दर्द, 49 रुपए की पेंशन से एक दिन का भी राशन नहीं आता
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सालों से 49 रुपए महीने की पेंशन मिल रही है. कईयों को 1000 रुपए पेंशन दी जा रही है. हम सालों से सरकार से पेंशन वृद्धि की मांग कर रहे हैं. मगर, सरकार हमें अनदेखा कर रही है. गरीबी रेखा से नीचे आने वालों को भी ज्यादा सुविधाएं मिलती हैं. सरकार नहीं मानी, तो उग्र प्रदर्शन किया जाएगा.
49 रुपए महीना पेंशन मिल रही हैं. इतने में तो एक दिन का राशन तक नहीं आता है, महीना भर कैसे गुजारा चलाएं. ये दर्द है झारखंड के धनबाद में कोयला उद्योग पेंशनर्स का. सोमवार को उन्होंने सीएमपीएफओ गेट के सामने प्रदर्शन किया.
कोल पेंशनर्स एसोशिएसन के बैनर तले किए गए प्रदर्शन में पांच सूत्रीय मांग रखी गई. पेंशनर्स ने कहा है कि सालों से उनको मिलने वाली पेंशन में वृद्धि नहीं की गई. कोयला उद्योग के पेंशनर्स का कहना है कि भारत सरकार हमारे साथ क्रूरता कर रही है.
बीते 24 सालों से पेंशन में वृद्धि की मांग कर रहे हैं. मगर, हमारी मांगों को अनदेखा किया जा रहा है. देश में गरीबी रेखा से नीचे जीवन करने वालों को सरकारी मदद मिल रही है. विधवा पेंशन और वृद्धा पेंशन भी मिनिमम 1000 रुपए है. मगर, एक लाख छब्बीस हजार कोल उद्योग के पेंशनर्स में पहले रिटायर हुए लोगों को 49 रुपए से लेकर एक हजार रुपए महीने पेंशन दी जा रही है.
पेंशनर्स एसोशिएसन के अध्यक्ष रामअनुज प्रसाद ने कहा, ''देश में गरीबी रेखा में बसर करने वाले लोगों के पेंशन में भी वृद्धि की जा चुकी है. मगर, बीसीसीएल में अपने रिटायर्ड कर्मचारियों के प्रति कोई भी सम्मान नहीं दिख रही. हम लगातार आंदोलन कर रहे हैं. दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है, जहां बुजुर्गों को भी अपने हक के लिए आंदोलन करना पड़ता है. अगर सरकार हमारी मांगों नहीं मानती है तो उग्र आंदोलन किया जाएगा.''
पूर्व विधायक का मिला सर्मथन
पेंशनर्स की इस मांग को निरसा के पूर्व विधायक अरुण चटर्जी का समर्थन मिला है. उन्होंने कहा कि इनकी पेंशन सरकार को बढ़ानी चाहिए. कोयला मंत्रालय से पेंशन बढ़ोतरी करने की अपील करता हूं.
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