J&K 2nd Phase: राजौरी-पुंछ की वो 5 रिजर्व सीटें जहां मैदान में हैं गुर्जर-बकरवाल और पहाड़ी उम्मीदवार, जानिए गणित
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जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 26 सीटों पर 25 सितंबर को मतदान होना है. इनमें राजौरी और पुंछ की आठ विधानसभा सीटें भी हैं जिसमें पांच सीटें एसटी रिजर्व हैं. जानिए, ये सीटें कौन सी हैं और इनका गणित क्या है?
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की 24 सीटों पर पहले चरण में 18 सितंबर को वोट डाले गए थे. अब दूसरे चरण के मतदान की बारी है. जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 25 सितंबर को 26 सीटों पर वोटिंग होनी है. इन 26 सीटों में राजौरी और पुंछ जिले की आठ विधानसभा सीटें भी हैं जिनमें से पांच सीटें अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित हैं. एसटी आरक्षित सीटों पर गुर्जर-बकरवाल और पहाड़ी समुदाय के नेता चुनाव मैदान में हैं. ये सीटें कौन सी हैं और इनका गणित क्या है?
राजौरी-पुंछ की आरक्षित सीटें
राजौरी और पुंछ, दोनों जिलों में विधानसभा की कुल आठ सीटें हैं. राजौरी जिले में पांच विधानसभा सीटें हैं- राजौरी, बुद्धल, थन्ना मंडी, कालाकोट- सुंदरबनी और नौशेरा. पुंछ जिले में तीन सीटें हैं- सुरनकोट, पुंछ हवेली और मेंढर. इन आठ सीटों में से पांच सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं जिनमें राजौरी की तीन और पुंछ की दो सीटें शामिल हैं. राजौरी जिले की तीन सीटें- राजौरी, बुद्धल और थन्ना मंडी एसटी आरक्षित हैं. वहीं, पुंछ जिले की आरक्षित सीटों की लिस्ट में सुरनकोट और मेंढर के नाम हैं.
गुर्जर-बकरवाल और पहाड़ी उम्मीदवार
जम्मू और कश्मीर की आरक्षित सीटों पर गुर्जर-बकरवाल और पहाड़ी समुदाय के नेता ही चुनाव मैदान में उतर सकते हैं. केंद्र शासित प्रदेश की इन जातियों को ही अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त है. जम्मू कश्मीर में पहले एसटी का दर्जा केवल गुर्जर-बकरवाल को ही प्राप्त था. पहाड़ी समुदाय के लोग भी लंबे समय से एसटी दर्जे की मांग कर रहे थे. केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ही पहाड़ी समाज को एसटी का दर्जा दे दिया था. पहाड़ी समुदाय एक तरह से भाषा के आधार पर वर्गीकृत समुदाय है. इसमें हिंदू, सिख, मुस्लिम समुदाय के कश्मीरी मूल के वो लोग भी आते हैं जो राजौरी-पुंछ में बस गए. सुरक्षित सीटों पर गुर्जर-बकरवाल और पहाड़ी समुदाय के उम्मीदवारों के बीच ही फाइट है.
आरक्षित सीटों का गणित क्या?
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