IPC Section 76: कानूनी बाध्यता समझ कर किया गया कार्य परिभाषित करती है धारा 76
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भारतीय दंड संहिता की धाराओं में अपराध, सजा और कानून से जुड़े कई प्रावधान मिलते हैं. जिनका इस्तेमाल पुलिस और अन्य कानूनी एजेंसियां अपने काम के दौरान करती हैं. ऐसा ही प्रावधान आईपीसी की धारा 76 में किया गया है.
Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता की धाराओं (Sections) में अपराध (Offence), सजा (Punishment) और कानून से जुड़े कई प्रावधान (Provision) मिलते हैं. जिनका इस्तेमाल पुलिस और अन्य कानूनी एजेंसियां अपने काम के दौरान करती हैं. ऐसा ही प्रावधान सीआरपीसी (CrPC) की धारा 76 (Section 76) में किया गया है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 76 क्या जानकारी देती है?
आईपीसी की धारा 76 (IPC Section 76) आईपीसी (Indian Penal Code) की धारा 76 के अनुसार, कोई भी कार्य, जो किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाए, जो उसे करने के लिए विधि द्वारा आबद्ध (Bound by law) हो या जो तथ्य की भूल (Mistake of fact) के कारण, न कि विधि की भूल के कारण सद्भावपूर्वक विश्वास (Good faith) करता हो कि वह ऐसा कार्य करने के लिए कानून द्वारा बाध्य है, अपराध (Offence) नहीं है.
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क्या होती है आईपीसी (IPC) भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.
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