
Guru Purnima Katha : जन्म लेते ही युवा हुए वेद व्यास को तपस्या के बाद मिला अपना नाम
ABP News
23 जुलाई को गुरु पूर्णिमा के दिन व्यास पूजा होगी. महाभारत के लेखक वेद व्यासजी की पूजा के साथ ही आषाढ़ माह पूरा हो जाएगा. मगर व्यास के जन्म के साथ शुरू हुए चमत्कार कई युगों की तस्वीर बदलते रहे.
Guru Purnima Katha : पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्षि पाराशर और निषाद पुत्री सत्यवती की संतान वेद व्यास जन्म लेते ही युवा होकर तपस्या के लिए द्वैपायन द्वीप चले गए थे. माना जाता है कि आषाढ़ी पूर्णिमा को ही उनका जन्म हुआ था. घनघोर तप करने के चलते वह काले हो गए थे और द्वैपायन द्वीप पर तपस्या के लिए जाने के कारण उन्हें कृष्ण द्वैपायन कहा गया. एक किवदंती यह भी है कि उनका जन्म यमुना नदी के बीच एक द्वीप पर हुआ था, रंग काला होने के कारण उनका नाम कृष्ण द्वैपायन रखा गया. वेद व्यास एक उपाधि है, कृष्ण द्वैपायन 28वें वेदव्यास थे. चिरंजीवी और विष्णु के 24 अवतारों में शामिल हैं वेद व्यासश्रीमद्भागवत पुराण के मुताबिक भगवान विष्णु के जिन 24 अवतारों का वर्णन है, उनमें महर्षि वेद व्यास भी शामिल हैं. इसके अलावा अष्ट चिरंजीवी लोगों में भी महर्षि वेद व्यास हैं, इसलिए इन्हें आज भी जीवित माना जाता है. मां सत्यवती के कहने पर वेद व्यासजी ने विचित्रवीर्य की पत्नी अम्बालिका और अम्बिका को शक्ति से धृतराष्ट्र और पांडु नामक पुत्र दिए और एक दासी से विदुर का जन्म हुआ. इन्हीं तीन बेटों में से धृतराष्ट्र के यहां कोई पुत्र नहीं हुआ तो वेद व्यास की कृपा से ही 99 पुत्र और 1 पुत्री जन्मे थे.More Related News