Gujarat Riots 2002: क्या सुप्रीम कोर्ट के फैसले और Teesta Setalvad की गिरफ्तारी का BJP को मिलेगा फायदा?
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Gujarat Riots 2002: गुजरात में 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले हुई तीस्ता सीतलाड़ और आरबी श्रीकुमार की गिरफ्तारी काफी महत्व रखती है. बीजेपी इस मसले को चुनावी मुद्दा भी बना सकती है.
सुप्रीम कोर्ट 2002 के गुजरात दंगे में तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने वाली SIT रिपोर्ट के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज कर चुकी है. याचिका जाकिया जाफरी की ओर से दाखिल की गई थी. कोर्ट ने SIT की जांच रिपोर्ट को सही माना है. जाकिया जाफरी पूर्व सांसद अहसान जाफरी की पत्नी हैं.
कोर्ट के फैसले के बाद सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, आर बी श्रीकुमार और संजीव भट्ट के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. उन्हें गिरफ्तार कर 1 जुलाई तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया है. पुलिस ने इन दोनों को क्लोजर रिपोर्ट से खिलवाड़ करने के आरोप में गिरफ्तार किया है. इनके साथ संजीव भट्ट का नाम भी शामिल है. बता दें कि जकिया जाफरी ने 2002 के गुजरात दंगे में वर्तमान पीएम और उस वक्त के गुजरात के सीएम नरेन्द्र मोदी को क्लीनचिट दिए जाने के एसआईटी के फैसले पर सवाल उठाए थे.
गुजरात में 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले हुई तीस्ता सीतलाड़ और आरबी श्रीकुमार की गिरफ्तारी काफी महत्व रखती है. बीजेपी इस मसले को चुनावी मुद्दा भी बना सकती है. दरअसल, 2002 के दंगों में गुजरात भाजपा के लिए हिन्दुत्व की प्रयोगशाला बनकर सामने आया था. इस दंगे के बाद गुजरात में बीजेपी को इतिहास की अब तक की सबसे ज्यादा 128 सीटें हासिल हुई थीं. पीएम मोदी और तब के सीएम नरेन्द्र मोदी एक बड़े हिन्दुवादी नेता के तौर पर उभर कर सामने आए थे.
SIT की क्लोजर रिपोर्ट में पीएम नरेंद्र मोदी (तब के सीएम) को क्लीनचीट देते हुए इसे उनकी राजनैतिक छवी को नुकसान पहुंचाने की साजिश बताया गया. गुजरात में भाजपा 27 साल से सत्ता में है. लंबी सरकार चलने पर बनी एंटी इनकंबेंसी के बीच भी अगर 2002 के दंगों का जिक्र आता है तो गुजरात में हिन्दुत्व का मुद्दा फिर जाग सकता हैं. इसका फायदा सीधे तौर पर भाजपा को मिल सकता है.
इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत दयाल का कहना है कि इस एफआईआर में अहमदाबाद क्राइम ब्रान्च के जरिए वारदात के वक्त को 2002 से लेकर 2022 तक लिखा गया है. यह 20 साल का दायरा है. हो सकता है कि आने वाले दिनों में तीस्ता सीतलवाड़ के अलावा कई एनजीओ के कार्यकर्ता, वरिष्ठ पत्रकार और अधिकारीओं पर शिंकजा कसा जाए. ये एक्शन उन विरोधियों को सीधा संदेश हो सकता है, जोसरकार के सामने खुलकर विरोध कर रहे थे.
इस ममाले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने एक इंटरव्यू दिया था. इंटरव्यू में कहा गया की पिछले 19 साल से पीएम नरेन्द्र मोदी ने इन लोगों की वजह से शिवजी की तरह जहर पीया है. दरअसल, गुजरात के ज्यादातर भाजपा कार्यकर्ता नरेंद्र मोदी के चलते ही पार्टी का समर्थन करते हैं. यही वजह है कि पीएम मोदी चुनावी मैदान में उतरने पर कहते थे कि उम्मीदवार को नहीं बल्की उन्हें जिताकर गांधीनगर भेजना है. वैसे में SIT के इस क्लोजर रिपोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जाकिया की याचिका को खारीज केरने के मुद्दे को गुजरात में लोगों की भावना के साथ जोड़ा जा रहा है.
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