Goa Election 2022: TMC नेता बाबुल सुप्रियो का दावा, चुनाव प्रचार के दौरान मुझ पर हुआ हमला
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Goa Assembly Election 2022: बाबुल सुप्रियो ने कहा कि दुर्भावनापूर्ण जनविरोधी इरादों के साथ मुझ पर हमला किया गया. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में बेरोजगारी चरम पर है. खुले मुंह और कसकर आंखें बंद करके मुस्कुराते हुए चेहरों के साथ कई सारे 'भक्त' ट्विटर पर बेकार बैठे हैं.
GOA Election: गोवा में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार करने पहुंचे TMC नेता बाबुल सुप्रियो ने कहा कि उन पर प्रचार करने के दौरान हमला हुआ. उन्होंने कहा कि गोवा में एक स्थानीय पार्टी के गुंडे ने उन पर हमला किया. लेकिन वह बाल-बाल बच गए. इसके साथ ही बाबुल सुप्रियो ने नाम लिए बिना कहा कि जिसने उन पर हमला किया, वह दो राष्ट्रीय पार्टियों के गठबंधन के साथ चुनाव लड़ रहे हैं. Got attacked by a sharp chopper/cleaver by a goon from a local party in Goa who are fighting the elections here with blessings from both the two national parties @INCIndia @BJP4India with malafide anti-people intentions• Both me & my PSO evades his aggressive attempt to injure Me alone was enough to neutralise him•Though police arrived, we didnt file any FIR (that wud be futile) & the crook ran away with his lesson learnt that @AITCofficial is not here to take intimidation or threats lying down•Asking people to vote for us is our right @abhishekaitc
NCP के प्रवक्ता महेश चव्हाण ने हाल ही में EVM पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर कोई भी व्यक्ति EVM पर संदेह नहीं कर रहा है, तो वो राजनीति छोड़ देंगे. उन्होंने इस मुद्दे पर राजनीतिक विश्लेषक आशुतोष से चर्चा करते हुए EVM के हैक होने की संभावना को लेकर भी बातें कीं. आशुतोष ने इस संबंध में महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए. EVM की सुरक्षा और पारदर्शिता पर इस चर्चा से राजनीतिक गलियारों में नई हलचल देखने को मिल रही है.
हिंदू सेना के विष्णु गुप्ता ने अजमेर में ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को हिंदू पूजा स्थल होने की याचिका कोर्ट में दायर की थी. याचिका पर बुधवार को अजमेर पश्चिम सिविल जज सीनियर डिविजन मनमोहन चंदेल की कोर्ट ने सुनवाई की. इस दौरान वादी विष्णु गुप्ता के वाद पर न्यायाधीश मनमोहन चंदेल ने संज्ञान लेते हुए दरगाह कमेटी ,अल्पसंख्यक मामलात व एएसआई को समन नोटिस जारी करने के निर्देश दिए.
कुछ तो मजबूरियां रही होंगी , वरना एकनाथ शिंदे यूं ही नहीं छोड़ने वाले थे महाराष्ट्र के सीएम की कुर्सी का मोह. जिस तरह एकनाथ शिंदे ने सीएम पद के लिए अचानक आज सरेंडर किया वह यू्ं ही नहीं है. उसके पीछे उनकी 3 राजनीतिक मजबूरियां तो स्पष्ट दिखाई देती हैं. यह अच्छा है कि समय रहते ही उन्होंने अपना भविष्य देख लिया.
उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) सरकार ने कार्यालय में 45 दिन पूरे कर लिए हैं, मुख्यमंत्री, मंत्री अभी भी अपने अधिकार, विभिन्न विभागों के कामकाज के संचालन के लिए निर्णय लेने की शक्तियों से अनभिज्ञ हैं, शासन की संरचना पर स्पष्टता लाने के लिए, गृह मंत्रालय जल्द ही जम्मू-कश्मीर में निर्वाचित सरकार की शक्तियों को परिभाषित करेगा.