Explainer: ऐसी हो सकती है EV Battery Swapping Policy, आम आदमी को मिलेगा ये फायदा?
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इंटरऑपरेबिलिटी, बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी का सबसे महत्वपूर्ण प्वॉइंट है. इसका सीधा-सीधा मतलब है कि सरकार बैटरियों का ऐसा मानक तय करना चाहती है, जिससे एक ही साइज या डिजाइन की बैटरी किसी भी कंपनी के इलेक्ट्रिक व्हीकल में फिट हो जाए.
देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा मिले, इसके लिए सरकार ने बजट में EV Battery Swapping Policy लाने और बैटरी स्वैपिंग को इंटरऑपरेबल बनाने की घोषणा की थी. अब ये ईवी बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी कैसी हो, इसमें किन-किन जरूरी बातों को शामिल किया जाए, इसे लेकर Niti Aayog ने हाल में एक अहम बैठक की. जल्द ही इस पॉलिसी को लागू भी कर दिया जाएगा. इस पॉलिसी से आम आदमी को क्या फायदा होगा और कौन-कौन सी बातों को इसमें शामिल किया जाएगा, इस बारे में एक्सपर्ट्स की राय क्या है, आइए समझते हैं पूरी बात को...
पहले जानते हैं Battery Swapping क्या है? अभी देश में जितने इलेक्ट्रिक व्हीकल हैं, उनमें से बहुत कम ही रिमूवेबल बैटरी के साथ आते हैं. 2-व्हीलर्स में ऐसे कुछ ऑप्शन मिलते भी हैं, लेकिन 4-व्हीलर्स में अभी ऐसा ऑप्शन नहीं है. बैटरी स्वैपिंग में वाहन चालक को जीरो चार्ज बैटरी को स्वैपिंग स्टेशन पर फुल चार्ज बैटरी से बदलने की सुविधा मिलती है. लेकिन इस व्यवस्था में कई पेंच हैं...
बैटरी स्वैपिंग की दिक्कतें मौजूदा व्यवस्था में बैटरी स्वैपिंग को पूरी तरह से लागू करना थोड़ा मुश्किल काम है. इसकी वजह अलग-अलग इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनियां अपने-अपने हिसाब से बैटरी बनाती हैं. ऐसे में उन्हें स्वैप करने के लिए उन्हीं के ऑपरेटेड स्वैपिंग स्टेशन पर जाना होता है, जैसे अभी Bounce Infinity इलेक्ट्रिक स्कूटर कंपनी कुछ शहरों में बैटरी स्वैपिंग सर्विस देती है. यानी ग्राहक इस कंपनी के स्कूटर को बिना बैटरी के खरीद सकते हैं और बैटरी को किराये पर लेकर (Battery as a Service) इस्तेमाल कर सकते हैं.
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नीति आयोग की बैठक के मायने सरकार चाहती है कि देश में ज्यादा से ज्यादा लोग ईवी इस्तेमाल करें. ऐसे में इलेक्ट्रिक व्हीकल बैटरी स्वैपिंग नीति लाने का मुख्य मकसद इनकी कीमत को नीचे लाना है. नीति आयोग ने इसके लिए सभी स्टेकहोल्डर्स से 5 जून तक सुझाव मंगाए थे और अब इसका ड्राफ्ट तैयार करने को लेकर पहली बैठक भी कर चुका है. सूत्रों का कहना है कि इस नीति को अगले 3 से 4 महीने में लागू किया जा सकता है. अब हम जानते हैं कि कैसी होगी बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी...
आखिर कैसी होगी बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी? वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में इस पॉलिसी को लेकर बैटरियों के स्टैंडर्डाइजेशन और इंटरऑपरेबिलिटी जैसी दो बातें साफ कही थीं. इंटरऑपरेबिलिटी इस पूरी पॉलिसी का सबसे महत्वपूर्ण पॉइंट है. इसका सीधा-सीधा मतलब है कि सरकार बैटरियों का ऐसा मानक तय करना चाहती है जिससे एक ही साइज या डिजाइन की बैटरी किसी भी कंपनी के इलेक्ट्रिक व्हीकल में फिट हो जाए.
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