Dropout rate: सेकेंडरी स्कूलों में बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों की संख्या 17 प्रतिशत से ज्यादा, सरकारी रिपोर्ट में हुआ खुलासा
ABP News
माध्यमिक स्कूलों में पढ़ने वाले 17 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे आगे की पढ़ाई जारी नहीं रखते. वे बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते हैं. एक सरकारी रिपोर्ट में यह बात सामने आई है.
इसे विडंबना ही कहेंगे कि आज भी देश में आर्थिक बाधाओं के चलते कुछ बच्चों को सेकेंडरी स्कूल में बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ती है. एक सरकारी रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक सेकेंडरी स्कूलों में बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों की संख्या 17 प्रतिशत से अधिक है जबकि अपर प्राइमरी (कक्षा 6 से 8) में 1.8 और प्राइमरी स्कूलों (कक्षा एक से पांच) में 1.5 प्रतिशत बच्चों को बीच में ही पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर होना पड़ता है. लड़कों का ड्रॉपआउट रेट ज्यादारिपोर्ट में कहा गया है कि सेकेंडरी लेवल में लड़कों का ड्रॉपआउट रेट प्राइमरी लेवल की तुलना में ज्यादा है. एजुकेश प्लस के लिए समेकित जिला सूचना प्रणाली (Unified District Information System) 2019-20 की रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 30 प्रतिशत बच्चे सेकेंडरी से सीनियर सेकेंडरी लेवल में पार नहीं कर पाते. तुलनात्मक रूप से पंजाब, मणिपुर और केरल में 90 प्रतिशत से अधिक बच्चे सेकेंडरी लेवल से आगे बढ़ने में कामयाब हो जाते हैं. दूसरी ओर लड़कों के मुकाबले सेकेंडरी लेवल में लड़कियों का ड्रॉपआउट रेट बहुत कम है. पंजाब में लड़कियों का ड्रॉपआउट रेट शून्य है जबकि असम में लड़कियों का ड्रॉपआउट रेट सेकेंडरी लेवल पर 35.2 प्रतिशत है.More Related News