Diwali 2021: दिवाली पर सूरन की सब्जी खाने का है खास कारण, जानें कहां से चली इसकी परंपरा
ABP News
Diwali 2021: दिवाली के दिन सफाई, सजावट और खरीदारी के साथ खानपान का भी महत्व है. मिठाई, खीर समेत विभिन्न पकवानों के बीच सूरन की सब्जी अनिवार्य है, आइए जानते हैं सूरन सब्जी की कब से चली आ रही परंपरा.
Diwali 2021: सूरन या जिमीकंद की सब्जी यूं तो आम दिनों में भी घरों में लगभग न के बराबर ही बनती है, लेकिन दिवाली के खास अवसर पर घरों में इसे बनाना बेहद शुभ माना गया है. घर के बुजुर्ग बाकी पकवानों के बीच इसकी डिमांड जरूर रखते आए हैं. यूपी के तमाम क्षेत्रों में हर दीवाली पर सूरन या जिमीकंद बनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. आइए जानते हैं सूरन की सब्जी का दीवाली से क्या संबंध है...हिन्दू धर्म में दिवाली पर सूरन की सब्जी बनाने और खाने की परंपरा काशी यानी बनारस से आई है. वहां दिवाली के दिन इसकी सब्जी पूरे परिवार के लिए बनती है. यह गोलाकार एक ऐसी सब्जी होती है, जो आलू की तरह मिट्टी के नीचे उगाई जाती है और जड़ खोद कर इसे निकाला जाता है, कहते हैं कि इसे निकालने के बाद भी इसकी जड़ें मिट्टी में ही रह जाती हैं और अगली दिवाली तक उसी जड़ से दोबारा सूरन तैयार हो जाती है. इसकी यही विशेषता दिवाली पर्व की उन्नति और खुशहाली से इसे जोड़ती है, जिसके चलते इसे दिवाली के दिन घर में बनाना और खाना दोनों ही बेहद शुभ माना जाता है.
काटना, बनाना और खाना तीनों मुश्किलसूरन की सब्जी देखने में गोलाकार होती है इसे काटना, पकाना दोनों आसान नहीं है, इसे काटते समय हाथों में खुजली होने लगती है, यह आलू या दूसरी सब्जियों की तरह जल्दी नहीं पकती है. इसे खाने से गले में खराश भी होने लगती है. इसे काटने के लिए विशेष विधि और सामान लगते हैं, इसे तेल से सने हाथों से इसे काटना चाहिए और खराश खत्म करने के लिए नींबू का रस डालकर छोड़ा जाता है. सेहत संवारती है सूरनसूरन या जिमीकंद की पैदावार दिवाली के आसपास ही होती है. इसमें बहुत अच्छे एंटीऑक्सीडेंट्स, बीटा केरोटीन होता है, जो शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं. इसके अलावा कई विटामिन और खनिज भी होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं. इसमें कैलोरी, फैट, कार्ब्स, प्रोटीन, पोटेशियम, घुलनशील फाइबर पर्याप्त मात्रा में हैं. सूरन कैंसर के इलाज में भी बेहद कारगर है.