Delhi liquor Crunch: हुई महंगी बहुत ही शराब कि बॉर्डर पार कर पिया करो!
AajTak
दिल्ली में औसतन 1 करोड़ 20 लाख पेटी बीयर की हर साल खपत होती है. सिर्फ गर्मी के महीने अप्रैल, मई, जून और जुलाई में ये डिमांड 20 से 25 लाख पेटी हर महीने की होती है. यानी 70 फीसदी बीयर सिर्फ गर्मी के सीजन में ही बिकती है.
दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति ने राजधानी में दारू के धंधे के सारे समीकरण उलट-पुलट कर रख दिए. दिल्ली में तो इसका असर हुआ ही, एनसीआर के पड़ोसी जिलों में भी शराब के शौकीनों की भागदौड़ इससे बढ़ गई. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) कहे जाने के बावजूद गुरुग्राम, दिल्ली और नोएडा में शराब की अलग-अलग दरें हैं.
एनसीआर में सबसे सस्ती शराब गुरुग्राम में है. शराब की कम कीमत के मामले में गुरुग्राम के बाद दिल्ली का नंबर आता है. शराब की सबसे ज्यादा कीमत नोएडा में है. इससे दिल्ली और नोएडा-गाजियाबाद के कुछ हिस्सों में तस्करी और बूटलेगिंग हो रही है. तस्करी से न केवल राज्य सरकारों को राजस्व का नुकसान होता है, बल्कि सीमा के करीब कुछ क्षेत्रों में बार और पब को भी चपत लगती है.
कन्फ्यूजन से चली कमाई पर कैंची...दूर नहीं हो रहीं दिल्ली में दारू के धंधे की दुश्वारियां!
एक सिंगल माल्ट भारतीय व्हिस्की की कीमत गुरुग्राम में एल1 (थोक) शराब की दुकान में लगभग 3000 रुपये, नोएडा में 8000 रुपये और दिल्ली में 5000 रुपये से अधिक हो सकती है. कीमतों में ये अंतर राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए टैक्स के चलते है. दिल्ली की नई शराब नीति से शराब की कीमतों में कमी आई है लेकिन गुरुग्राम अब भी एनसीआर में सबसे सस्ती शराब बेच रहा है.
गुरुग्राम में दाम कम होने के कारण दिल्ली और नोएडा दोनों के सीमावर्ती इलाकों में 6-8 किलोमीटर के दायरे में मौजूद पब, बार, शराब की दुकानों को जबर्दस्त नुकसान होता है क्योंकि ज्यादातर लोग सस्ती शराब पाने के लिए सीमा पार कर जाते हैं. गाजियाबाद में एक पब के मालिक युद्धवीर सिंह कहते हैं कि वसुंधरा, इंदिरापुरम जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में बने पब और बार में ग्राहकों की कमी हैं क्योंकि ज्यादातर लोग सस्ती शराब के लिए दिल्ली चले जाते हैं. दिल्ली और हरियाणा से शराब की तस्करी के कारण कमाई चौपट है.
सीमा पार करते ही कीमतों में 50-60 रुपये का अंतर
महाराष्ट्र के ठाणे में एक बच्ची का शव मिलने के बाद लोग आक्रोशित हो गए. दरअसल उल्हासनगर इलाके में तीन दिनों पहले एक बच्ची लापता हो गई थी जिसके बाद परिजनों ने थाने में गायब होने की रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी. इसी के बाद गुरुवार को उसका शव हिल लाइन पुलिस स्टेशन से कुछ दूरी पर मिला जिसे देखकर स्थानीय लोग भड़क गए.
गौतम अडानी पर आरोप है कि उन्होंने अमेरिका के निवेशकों के पैसे से भारत में सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी और ये रिश्वत भी उन प्रोजेक्ट्स के लिए दी गई, जिससे 20 वर्षों में अडानी ग्रुप की एक कम्पनी को 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर्स यानी भारतीय रुपयों में लगभग 16 हज़ार 881 करोड़ रुपये का मुनाफा होने का अनुमान है. आरोप है कि इस मुनाफे के लिए साल 2021 से 2022 के बीच आंध्र प्रदेश, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ की सरकारों को लगभग 2200 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई.
गौतम अडानी एक बार फिर चर्चा में हैं क्योंकि उन पर सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स के ठेके पाने के लिए भारतीय अधिकारियों को करोड़ों रुपये की रिश्वत देने का आरोप है. इस मामले पर NSUI ने भी प्रदर्शन किया है. इस मुद्दे ने राजनीतिक और व्यावसायिक जगत में खलबली मचा दी है, जिसमें भ्रष्टाचार और व्यापारिक नैतिकता के सवाल शामिल हैं.