
CWC: कांग्रेस की नई टीम में बुजुर्गों की भरमार, '50-50 फॉर्मूले' का वादा निभाने में भी खड़गे फेल
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लोकसभा चुनाव से पहले 80 सीटों वाले राज्य यूपी से सीडब्ल्यूसी में केवल तीन नेताओं को ही जगह मिल सकी है. यूपी कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्षों को जगह नहीं दी गई है तो वहीं सीडब्ल्यूसी में उदयपुर चिंतन शिविर के मंथन से निकला '50-50 फॉर्मूला' लागू करने में भी पार्टी फेल रही है.
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन की नई टीम में चुनावी राज्यों पर फोकस है. हर जाति-वर्ग को साधने की कवायद है तो साथ ही उदयपुर चिंतन शिविर के '50-50' फॉर्मूला लागू करने में विफलता भी. कांग्रेस वर्किंग कमेटी में उत्तर प्रदेश से तीन ही नेता जगह बना सके हैं. यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके नेता भी सीडब्ल्यूसी में जगह बनाने में विफल रहे हैं.
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सीडब्ल्यूसी के ऐलान के बाद ये सवाल भी उठने लगे हैं कि क्या कांग्रेस को उत्तर प्रदेश जैसे अहम राज्य में अपने ही पूर्व प्रदेश अध्यक्षों पर भरोसा नहीं रहा? सीडब्ल्यूसी में पूर्व प्रदेश अध्यक्षों को जगह नहीं मिलने को लेकर कांग्रेस के नेता भी दबी जुबान कह रहे हैं कि वजह भरोसे की कमी है. गौरतलब है कि कांग्रेस की नई सीडब्ल्यूसी में यूपी से प्रदेश अध्यक्ष रहे किसी भी नेता को जगह नहीं दी गई है.
अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं. सीटों के लिहाज से भी उत्तर प्रदेश अहम है. 80 लोकसभा सीटों वाले सूबे से केवल तीन नेता ही सीडब्ल्यूसी में जगह बना पाए हैं- सलमान खुर्शीद, राजीव शुक्ला और सुप्रिया श्रीनेत. सीडब्ल्यूसी में राज बब्बर, अजय लल्लू और बृजलाल खाबरी में से किसी को भी जगह नहीं मिल पाने को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
सीडब्ल्यूसी में 50-50 फॉर्मूला फेल
कांग्रेस के उदयपुर चिंतन शिविर में युवाओं को तरजीह देने का फैसला हुआ था. मल्लिकार्जुन खड़गे ने उदयपुर शिविर के 50-50 फॉर्मूले को लागू करने की बात कही थी. सीडब्ल्यूसी से इसकी शुरुआत होगी, ऐसी उम्मीद थी लेकिन हुआ उल्टा. कांग्रेस की 84 सदस्यों वाली सीडब्ल्यूसी में करीब डेढ़ दर्जन नेता ही ऐसे हैं जिनकी उम्र 50 साल से कम है. 50 साल के आसपास उम्र वाले नेताओं को भी शामिल कर लें तो ये तादाद करीब दो दर्जन तक पहुंचती है. कांग्रेस की नई सीडब्ल्यूसी में उदयपुर चिंतन शिविर का 50-50 फॉर्मूला फेल रहा है.

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