CUET: अंडरग्रैजुएट प्रवेश परीक्षा को लेकर किए जा रहे दावे और उठ रहे सवाल
BBC
देश में पहली बार केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एडमिशन के लिए जिस मक़सद से एक कॉमन प्रवेश परीक्षा करवाई जा रही है उससे क्या चीज़ें दुरुस्त हो जाएँगी?
भारत में 12वीं की पढ़ाई करनेवाले हर छात्र के सामने अगला सवाल आता है कि अगर इंजीनियरिंग, मेडिकल जैसे विषयों की प्रवेश परीक्षाओं में ना हुआ, जिनसे कि अमूमन करियर 'सेट' हो जाता है, या अगर कुछ और करने की इच्छा है, तो आगे का रास्ता क्या हो, कहाँ एडमिशन लिया जाए?
और यहीं से जद्दोजहद शुरू होती है देश के नामी-गिरामी विश्वविद्यालयों या कॉलेजों में दाख़िल होने की. देश भर से छात्र दिल्ली और अन्य बड़े शहरों में स्थित कॉलेजों, विश्वविद्यालयों में प्रवेश पाना चाहते हैं.
सीटें सीमित होती हैं, एडमिशन लेने की चाह रखने वाले छात्रों की संख्या ज़्यादा. ऐसे में चयन की प्रक्रिया अपनानी पड़ती है.
तरीक़े दो ही थे इसके. एक- कि 12वीं में जितने नंबर आए, उनके आधार पर एडमिशन हो. और दूसरा - कि प्रवेश परीक्षा कराई जाए.
कई बड़े कॉलेज/विश्वविद्यालय बरसों से एंट्रेंस एग्ज़ाम करवाते रहे हैं, जैसे जेएनयू, बीएचयू, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, एएमयू आदि.