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CrPC Section 82: फरार व्यक्ति के लिए उद्घोषणा का प्रावधान करती है सीआरपीसी 82
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सीआरपीसी (CrPC) की धारा 82 (Section 82) फरार व्यक्ति के लिए उद्घोषणा की प्रक्रिया के संबंध में प्रावधान (Provision) करती है. चलिए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 82 इस बारे में क्या बताती है?
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) में इस तरह की कानूनी प्रक्रियाओं (Legal procedures) को परिभाषित (Defined) किया गया है, जिनका इस्तेमाल अदालती कार्यवाही (Court proceedings) और पुलिस प्रणाली में किया जाता है. इसी तरह से सीआरपीसी (CrPC) की धारा 82 (Section 82) फरार व्यक्ति के लिए उद्घोषणा की प्रक्रिया के संबंध में प्रावधान (Provision) करती है. चलिए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 82 इस बारे में क्या बताती है?
सीआरपीसी की धारा 82 (CrPC Section 82) दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की धारा 82 (Section 82) के अनुसार, (1) यदि किसी न्यायालय (Court) को साक्ष्य लेने के पश्चात् या लिए बिना यह विश्वास करने का कारण (Reason to believe) है कि कोई व्यक्ति जिसके विरुद्ध उसने वारंट (Warrant) जारी किया है, और वो फरार (Absconding) हो गया है, या अपने को छिपा रहा है, जिससे ऐसे वारंट का निष्पादन (Execution of warrant) नहीं किया जा सकता तो ऐसा न्यायालय उससे यह अपेक्षा करने वाली लिखित उद्घोषणा प्रकाशित (Written declaration published) कर सकता है कि वह व्यक्ति विनिर्दिष्ट स्थान (Designated place) में और विनिर्दिष्ट समय (Designated time) पर, जो उस उद्घोषणा के प्रकाशन की तारीख से कम से कम तीस दिन पश्चात् का होगा, हाजिर हो जाए.
आम भाषा में समझें तो CrPC की धारा 82 के मुताबिक, वह व्यक्ति जो किसी अपराध या किसी कर्ज की वजह से बच निकलने के मकसद से कही फरार हो जाता है या भाग जाता है, तो अदालत उसके फरार हो जाने की उद्घोषणा करती है. इस धारा में केवल वह फरार व्यक्ति के बारे में उद्घोषणा करने को बताती है.
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क्या है सीआरपीसी (CrPC) सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.
1974 में लागू हुई थी CrPC सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.
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