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CrPC Section 33: जानें, क्या है सीआरपीसी की धारा 33?
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सीआरपीसी (CrPC) की धारा 33 (Section 33) 'नियुक्त अधिकारियों की शक्तियां' (Powers of appointed officers) के बारे में बताती है. चलिए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 33 (Section 33) क्या कहती है?
Code of Criminal Procedure यानी दंड प्रक्रिया संहिता में कोर्ट (Court), उनसे जुड़ी प्रक्रिया (Procedure) के साथ-साथ उनसे जुड़े प्रावधान (Provision) मिलते हैं. इसी प्रकार से सीआरपीसी (CrPC) की धारा 33 (Section 33) 'नियुक्त अधिकारियों की शक्तियां' (Powers of appointed officers) के बारे में बताती है. तो चलिए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 33 (Section 33) क्या कहती है?
सीआरपीसी की धारा 33 (CrPC Section 33)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की धारा 33 (Section 33) में 'नियुक्त अधिकारियों की शक्तियां' (Powers of appointed officers) बताई गई हैं. CrPC की धारा 33 के मुताबिक सरकार की सेवा (Service of Government) में पद धारण (holding a post) करने वाला ऐसा व्यक्ति, जिसमें उच्च न्यायालय (High Court) या राज्य सरकार (State Government) द्वारा, उस संहिता के अधीन कोई शक्तियां (Powers under this Code) किसी समग्र स्थानीय क्षेत्र (Overall local area) के लिए निहित की गई हैं, जब कभी उसी प्रकार के समान (An equal) या उच्चतर पद (Higher office) पर उसी राज्य सरकार के अधीन वैसे ही स्थानीय क्षेत्र के अंदर नियुक्त (Appoint) किया जाता है, तब वह, जब तक, यथास्थिति, उच्च न्यायालय या राज्य सरकार अन्यथा निदेश न दे या न दे चुकी हो, उस स्थानीय क्षेत्र में, जिसमें वह ऐसे नियुक्त किया गया है, उन्हीं शक्तियों (Same powers) का प्रयोग करेगा.
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क्या होती है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.
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