
CrPC Section 102: अपनी मौजूदगी में तलाशी करा सकता है मजिस्ट्रेट, यही बताती है धारा 102
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सीआरपीसी (CrPC) की धारा 102 (Section 102) में यह प्रावधान किया गया है कि मजिस्ट्रेट अपनी उपस्थिति में तलाशी कराने का निर्देश दे सकता है. चलिए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 102 इस बारे में क्या बताती है?
Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता की धाराओं में ऐसी कानूनी प्रक्रियाओं (Legal procedures) के बारे में जानकारी दी गई है, पुलिस (Police) और कोर्ट (Court) की कार्य प्रणाली के दौरान इस्तेमाल होती हैं. इसी तरह से सीआरपीसी (CrPC) की धारा 102 (Section 102) में यह प्रावधान किया गया है कि मजिस्ट्रेट अपनी उपस्थिति में तलाशी कराने का निदेश दे सकता है. चलिए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 102 इस बारे में क्या बताती है?
सीआरपीसी की धारा 102 (CrPC Section 102) दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Proced) की धारा (102 Section 101) में बताया गया है कि मजिस्ट्रेट (Magistrate) अपनी उपस्थिति (Presence) में तलाशी (Search) लिए जाने का निदेश (Order) दे सकता है. CrPC की धारा 102 के अनुसार, कोई मजिस्ट्रेट किसी स्थान की, जिसकी तलाशी के लिए वह तलाशी वारंट (Search warrant) जारी करने के लिए सक्षम (Competent) है, अपनी उपस्थिति में तलाशी लिए जाने का निदेश दे सकता है.
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क्या है सीआरपीसी (CrPC) सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.
1974 में लागू हुई थी CrPC सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.

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