COP26: ग्लास्गो से पहले G20 समिट, धरती को बचाने के लिए क्यों है अहम
The Quint
COP26: ग्लास्गो से पहले G20 समिट, धरती को बचाने के लिए क्यों है अहमग्लास्गो क्लाइमेट समिट से पहले G20 बैठक में पर्यावरण के 4 अहम मुद्दे. 4 important environmental issues in G20 meeting ahead of Glasgow Climate Summit. India, America, china Crucial
ग्लास्गो (Glasgow) क्लाइड नदी (Clyde River) के किनारे बसा है, ये कभी स्कॉटलैंड के औद्योगिक गौरव के लिए जाना जाता था वहीं अब ये ग्रीन एनर्जी (Green Energy) ट्रांजिशन के लिए एक लॉन्चपैड के तौर पर अपनी पहचान बना रहा है. यही खासियत इस शहर को संयुक्त राष्ट्र (UN) के जलवायु सम्मेलन (Climate Conference) COP26 के लिए उपयुक्त शहर बनाती है. ग्लास्गो में ही क्लाइमेट समिट के दौरान दुनिया के नेता एकजुट होंगे और इस बात पर चर्चा करेंगे कि वे अपने देश में जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाने वाली ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को किस तरह से कम करेंगे.ADVERTISEMENTसंयुक्त राष्ट्र के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी के रूप में मैं (रेचेल काइट) कई वर्षों से जलवायु वार्ता में शामिल रहा हूं और 31 अक्टूबर 2021 से शुरू होने वाली वार्ता के लिए मैं ग्लासगो में भी रहूंगा. जैसे-जैसे अभी तक बातचीत हुई है उसे देखते हुए यहां जानिए कि इस बैठक में क्या अहम होगा.एम्बिशन2015 में पेरिस में हुए जलवायु सम्मेलन में शामिल हुए देशों ने ग्लोबल वार्मिग को 2 डिग्री (3.6 फैरेनहाइट) से कम रखने पर सहमति व्यक्त की थी, जिसमें 1.5 डिग्री (2.7 फैरेनहाइट) का लक्ष्य तय किया गया था. ऐसे में यदि COP21 लक्ष्य के लिए गया समझौता था तो COP26 उस लक्ष्य को हमने किया पाया,इसकी समीक्षा और उसके अनुसार आगे की योजना बनाने का मौका है.लेकिन इन सबके बीच बुरी खबर यह है कि समिट में शामिल होने वाले देश सही दिशा में नहीं हैं. वे पटरी से उतर रहे हैं. उन्हें इस वर्ष नये एक्शन प्लान सब्मिट करने की जरूरत थी. एक्शन प्लान को नेशनल डिटरमाइन्ड कंट्रीब्यूशन्स या NDCs के नाम से भी जाता है.ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक जलवायु सम्मेलन से कुछ ही दिनों पहले जारी रिपोर्ट के अनुसार दुनिया इस सदी में, वैश्विक तापमान में कम से कम 2.7 डिग्री सेल्सियस (4.86 फैरेनहाइट) की वृद्धि की ओर बढ़ रही है.संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की रिपोर्टयूएनईपीऐसे में सभी की नजरें G-20 पर टिकी हुई हैं. जी-20 दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों का समूह है. वैश्विक उत्सर्जन में इसकी 80 फीसदी हिस्सेदारी है. इस समूह की वार्षिक बैठक COP 26 से ठीक पहले 30-31 अक्टूबर को रोम में आयोजित हो रही है. भारत सहित कुछ जी 20 देशों ने अभी तक अपने अपडेटेड प्लान सब्मिट नहीं किए हैं. वहीं ब्राजील, मैक्स...