CM उद्धव ठाकरे के रिश्तेदार पर ED की बड़ी कार्रवाई, 11 फ्लैट्स समेत 6.45 करोड़ की प्रॉपर्टी जब्त
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Maharashtra News: प्रवर्तन निदेशालय ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि ठाकरे के भाई श्रीधर पाटणकर पर शिकंजा कसा है. केंद्रीय एजेंसी ने पाटणकर की करोड़ों रुपए की प्रॉपर्टी अटैक कर ली.
महाराष्ट्र में केंद्रीय एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने मंगलवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के रिश्तेदार श्रीधर माधव पाटनकर के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. मुंबई से सटे ठाणे में ईडी ने पुष्पक समूह की समूह कंपनियों में शामिल मेसर्स पुष्पक बुलियन की 6.45 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों को अटैच कर लिया है. इसमें नीलांबरी प्रोजेक्ट के तहत श्री साईंबाबा गृह निर्माण समिति प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े 11 आवासीय फ्लैट भी शामिल हैं.
श्री साईबाबा गृह निर्माण समिति प्राइवेट लिमिटेड का स्वामित्व और नियंत्रण महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे के साले श्रीधर माधव पाटनकर के पास है. यह कुर्की पुष्पक समूह की कंपनी पुष्पक बुलियन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में की गई है, जिसने नोटबंदी के दौरान श्रीधर माधव पाटनकर की फर्म श्री साईंबाबा गृहनिर्माण समिति प्राइवेट लिमिटेड को कथित रूप से 30 करोड़ रुपये ऋण के रूप में दिए थे.
ईडी ने 06 मार्च 2017 को पुष्पक बुलियन और समूह की कंपनियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों के तहत मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था. एजेंसी ने इससे पहले महेश पटेल, चंद्रकांत पटेल, उनके परिवार के सदस्यों और उनकी नियंत्रित कंपनियों से संबंधित पुष्पक बुलियन की 21.46 करोड़ रुपये की अचल और चल संपत्तियां अटैच की थीं.
जांच एजेंसी के अनुसार, नंदकिशोर चतुर्वेदी ( आवास सुविधा प्रदाता) के साथ मिलकर महेश पटेल ने पुष्पक समूह की कंपनी मेसर्स पुष्पक रियल्टी के आर्थिक लेन देन में हेराफेरी की है. ईडी ने एक बयान में कहा कि पुष्पक रियल्टी डेवलपर ने बिक्री और फंड ट्रांसफर की आड़ में नंदकिशोर चतुर्वेदी की संस्थाओं को 20.02 करोड़ रुपये का फंड दे दिया.
ईडी अधिकारियों के मुताबिक, नंदकिशोर चतुर्वेदी कई फर्जी कंपनियां चलाता है. उसने श्रीधर पाटणकर की श्री साईबाबा गृह निर्माण समिति प्राइवेट लिमिटेड को 30 करोड़ रुपये से ज्यादा का लोन दे दिया और कर्ज के लिए कोई शर्त तक नहीं थी. ये रकम चतुर्वेदी ने अपनी शेल कंपनी हमसफर डीलर प्राइवेट लिमिटेड के जरिए ट्रांसफर की थी.
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गौतम अडानी पर आरोप है कि उन्होंने अमेरिका के निवेशकों के पैसे से भारत में सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी और ये रिश्वत भी उन प्रोजेक्ट्स के लिए दी गई, जिससे 20 वर्षों में अडानी ग्रुप की एक कम्पनी को 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर्स यानी भारतीय रुपयों में लगभग 16 हज़ार 881 करोड़ रुपये का मुनाफा होने का अनुमान है. आरोप है कि इस मुनाफे के लिए साल 2021 से 2022 के बीच आंध्र प्रदेश, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ की सरकारों को लगभग 2200 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई.