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Buddha Dharma: बौद्ध धर्म में पीला रंग मोह माया के बंधन से मुक्त होने का प्रतीक है
ABP News
Buddha Dharma: बौद्ध धर्म भारत से निकला और पूरी दुनिया में फैल गया. बौद्ध धर्म में पीले रंग का विशेष महत्व है. बौद्ध धर्म में पीला रंग किसका प्रतीक है, आइए जानते हैं.
Buddha Dharma, Kushinagar: बौध धर्म दुनिया का तीसरा बड़ा धर्म है. बौद्ध धर्म की उत्पत्ति ईसाई और इस्लाम धर्म से भी पहले की है. बौद्ध धर्म में अभ्यास और जागृति का विशेष महत्व बताया गया है. बौद्ध धर्म में कर्म को प्रधानता प्रदान की गई है. बौद्ध धर्म के अनुसार कर्म से ही जीवन में सुख और दुख स्थिति उत्पन्न होती है. बौद्ध धर्म में मोक्ष को भी वरियता प्रदान की गई है. इसके लिए बौद्ध धर्म में बताया गया है कि सभी कर्म चक्रों से मुक्त हो जाना ही मोक्ष है. कर्म से मुक्त होना या ज्ञान प्राप्ति के लिए मध्यम मार्ग को अपनाते ही मनुष्य को चार आर्य सत्य को समझते हुए अष्टांग मार्ग का अभ्यास कहना चाहिए, इसी से मोक्ष की प्राप्ति संभव है. बौद्ध धर्म के पवित्र धर्मग्रंथ को त्रिपिटक कहा जाता है. भगवान बुद्ध को बौद्ध धर्म का संस्थापक माना गया है. इस धर्म में दो संप्रदाय हैं, जिन्हें हिनयान और महायान कहा जाता है. बौद्ध धर्म के प्रमुख चार तीर्थ स्थल हैं-
भगवान बुद्ध की जीवन कथाभगवान बुद्ध को गौतम बुद्ध, सिद्धार्थ और तथागत नामों से भी जाना जाता है. भगवान बुद्ध के पिता कपिलवस्तु के राजा थे और इनका नाम शुद्धोदन था. भगवान बुद्ध की माता का महामाया देवी था. भगवान बुद्ध की पत्नी का नाम यशोधरा और पुत्र का नाम राहुल था. भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में लुम्बिनी में हुआ था. इन्हें बोध गया में ज्ञान की प्राप्ति हुई. सारनाथ में भगवान बुद्ध ने प्रथम उपदेश दिया था. उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में भगवान बुद्ध का महापरिनिर्वाण 483 ईसा पूर्व हुआ था.