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BKD: 1 लाख का इनामी, किसी ने नहीं देखा चेहरा... उस गैंगस्टर की कहानी जिससे बृजेश सिंह को है खतरा
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उत्तर प्रदेश का माफिया बृजेश सिंह 13 साल बाद जेल से छूट चुका है. बृजेश को अब बीकेडी से खतरा है जिसके सिर पर यूपी पुलिस ने एक लाख रुपये का इनाम तो घोषित कर रखा है, लेकिन उसको देखना तो दूर पुलिस के पास एक तस्वीर तक नहीं है. बृजेश सिंह और बीकेडी के बीच दुश्मनी की कहानी...
जरायम की दुनिया का बड़ा नाम माफिया डॉन बृजेश सिंह 13 साल बाद जेल से छूट गया है. माफिया डॉन बृजेश सिंह अब खुली हवा में सांस ले रहा है. परिवार के साथ पूजा पाठ हो रहा है, अपनों के साथ हंसी खुशी से वक्त गुजर रहा है. लेकिन बृजेश सिंह को अभी भी एक ऐसे शख्स से खतरा है जिसके बारे में दुनिया बहुत कम लेकिन बृजेश सिंह बहुत कुछ जानता है.
माफिया डॉन बृजेश सिंह को मुख्तार अंसारी से ज्यादा उस शख्स से खतरा है जिसके सिर पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक लाख का इनाम तो रखा है लेकिन उसकी एक तस्वीर तक उत्तर प्रदेश पुलिस के पास नहीं है. उसी शातिर दिमाग गैंगस्टर बीकेडी से बृजेश सिंह को भी खतरा लगता है.
कौन हैं BKD नाम का अपराधी?
BKD, पूर्वांचल के अपराधियों में एक ऐसा नाम है जो लंबे समय से एक पहेली बना हुआ है. बीकेडी का सिर्फ नाम सुना गया लेकिन देखा किसी ने नहीं, जिसकी पुरानी तस्वीर तक पुलिस के पास नहीं. वाराणसी पुलिस से लेकर यूपी एसटीएफ तक भले ही अंतरराष्ट्रीय माफियाओं की कुंडली जानती हो लेकिन वाराणसी का ही रहने वाला बीकेडी उर्फ इंद्रदेव सिंह के बारे में पुलिस अब तक कुछ नहीं जानती. साल 2011 में अजय खलनायक पर हुआ हमले का मामला हो या फिर जुलाई 2013 में बृजेश सिंह के चचेरे भाई सतीश सिंह की हत्या, इन दोनों ही सनसनीखेज हत्याकांड में बीकेडी का नाम आया लेकिन बीकेडी आज तक पकड़ा नहीं गया.
कैसे शुरू हुई दुश्मनी?
बीकेडी और बृजेश सिंह की दुश्मनी दशकों पुरानी है. दरअसल बृजेश सिंह के पिता रविंद्र नाथ सिंह उर्फ भुल्लन सिंह की हत्या में पांचू सिंह और ओमप्रकाश सिंह उर्फ लुल्लूर सिंह नामजद किए गए थे. पिता की हत्या का बदला लेने के लिए अपराध के रास्ते पर चलने वाले बृजेश सिंह ने पांचू सिंह के पिता हरिहर सिंह और उनके चचेरे बड़े भाई बनारसी सिंह की हत्या कर दी. 10 जनवरी 1999 को वाराणसी पुलिस ने पांचू सिंह और उसके साथी बंसी सिंह का एनकाउंटर कर दिया.
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आरएसएस से 32 साल तक जुड़ी रहीं गुप्ता ने 1992 में दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी. 1995-96 में वह दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की सचिव और 1996-97 में इसकी अध्यक्ष रहीं. 2002 में वह भाजपा में शामिल हुईं और पार्टी की युवा शाखा की राष्ट्रीय सचिव रहीं.
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महाराष्ट्र के डिप्टी CM एकनाथ शिंदे ने एक जोरदार बयान दिया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी कि उन्हें हल्के में न लिया जाए. शिंदे ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति उन्हें हल्के में लेगा, तो वे उसकी टांग पलट देंगे. हालांकि, उन्होंने यह भी साफ किया कि उनका और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का कोई मतभेद नहीं है.
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रेखा गुप्ता ने बुधवार शाम दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना से मुलाकात की और राष्ट्रीय राजधानी में सरकार बनाने का दावा पेश किया. उनके साथ राज्य भाजपा पर्यवेक्षक रविशंकर प्रसाद और ओपी धनखड़, शहर भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और दिल्ली के सांसद बांसुरी स्वराज, प्रवीण खंडेलवाल और कमलजीत सहरावत भी थे. भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत जय पांडा भी राज निवास में मौजूद थे.
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रेखा गुप्ता को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी अब महिला मुख्यमंत्रियों की विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है. दिल्ली ने कई महिला मुख्यमंत्री देखी हैं, जिनमें कांग्रेस की शीला दीक्षित का 15 साल का शासन भी शामिल है. साथ ही बीजेपी उन महिला वोटर्स पर भी फोकस कर रही है जिन्होंने चुनाव में पार्टी के पक्ष में जमकर मतदान किया है.
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