BCCI का ऐतिहासिक फैसला, क्या बदला और क्या अब भी बाकी?: दिन भर पॉडकास्ट
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मैच फीस के अलावा और क्या है पुरुष और महिला क्रिकेटर्स के बीच असमानता, आम आदमी पार्टी (AAP) क्या शहरी गुजरात में करेगी कमाल, दिल्ली में कचरे के पहाड़ से कैसे मिलेगी मुक्ति और डॉग लवर्स & डॉग हेटर्स में क्यों बंटने लगे हैं लोग, सुनिए 'दिन भर' में
महिला क्रिकेटर्स को कितना फ़ायदा होगा?
इंडियन क्रिकेट के लिए आज दो अच्छी ख़बरें आईं. पहला तो टी20 वर्ल्ड कप का मैच जिसमें हमने नीदरलैंड्स को आसानी से 56 रन से हरा दिया. और दूसरी ख़बर आई बीसीसीआई (यानी बोर्ड ऑफ कंट्रोल फ़ॉर क्रिकेट इन इंडिया से आई). दुनिया की सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड है. इंडियन क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेशन से जुड़े सारे फैसले करती है. सेक्रेटरी इसके जय शाह ने आज ट्वीट कर एक बड़ा और ज़रूरी ऐलान किया. कहा, भारतीय टीम की महिला क्रिकेटर्स को भी अब पुरुष टीम के बराबर ही मैच फीस दी जाएगी. फिलहाल महिला खिलाड़ियों को टेस्ट मैच के लिए 4 लाख रुपए मिलते हैं जबकि वनडे और टी-20 की एक मैच की फीस एक लाख रुपए है. लेकिन अब नए फैसले के बाद महिला खिलाड़ियों को पुरुषों के ही बराबर फीस मिलेगी. कितना अंतर होगा इस फ़ी स्ट्रक्चर में और इसमें क्या कोई पेंच भी है? मैच फीस के अलावा और क्या है पुरुष और महिला क्रिकेट के बीच असमानता? 'दिन भर' में सुनने के लिए यहां क्लिक करें.
कचरे पर आमने-सामने!
दिल्ली नगर निगम चुनाव करीब है. और राजनीति चालू आहे. दिल्ली में एक जगह है गाजीपुर. यहां इतना कचरा इकट्ठा हो गया है कि इसने पहाड़ का आकार ले लिया है. आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पार्टी कार्यकर्ता और नेताओं के साथ यहां पहुंच गए और बोले के कि बीजेपी ने 15 सालों में दिल्ली को कचरा बना दिया है. अब इतना होना था कि मैदान में बीजेपी भी कूद गई. बीजेपी कार्यकर्ताओं ने हाथों में काले झंडे लेकर केजरीवाल गो बैक के नारे लगाए. पार्टी ने आरोप लगाया कि केजरीवाल गाजीपुर कूड़े पर पॉलिटिक्स कर रहे हैं. इसके तुरंत बाद ही आप कार्यकर्ता भी यहां पहुंच गए और विरोध करने लगे. हालांकि मौके पर पुलिस मौजूद थी तो स्थिति सम्भल गई. ऐसे में, सवाल है कि ये जो कूड़े के पहाड़ को लेकर राजनीति शुरू हो गई है, वो दिल्ली के लोगों के लिए वाक़ई कोई मुद्दा है भी या नहीं, आम आदमी पार्टी आरोप तो लगा रही है कि बीजेपी ने 15 सालों में कूड़े का पहाड़ खड़ा कर दिया लेकिन क्या उनके पास इसका कोई समाधान है? 'दिन भर' में सुनने के लिए यहां क्लिक करें.
शहरी गुजराती किसके साथ?
चुनाव की घोषणा वैसे तो अब तक हिमाचल की ही हुई है. लेकिन चर्चा गुजरात की अधिक है. क्योंकि ये सूबा मौजूदा पीएम, होम मिनिस्टर का गृह राज्य है. यहां के पंचायत स्तर के चुनाव की जीत-हार को भी लोग बारिकी से पढ़ते, देखते हैं. चूंकि यहां विधानसभा चुनाव होने हैं और अब इसमें गिनती के कुछ दिन रह गए हैं. बहुत सम्भव है अगले हफ्ते तारीखों की घोषणा भी चुनाव आयोग कर दे. इस सिलसिले में आयोग कई मोर्चों पर लगातार काम कर रहा है. जिसमें एक था उन अधिकारियों का तबादला जिनकी तैनाती या तो अपने गृह राज्य में है या वे जो पिछले चार बरस में से तीन बरस से एक ही जिले में तैनात हैं. आज गुजरात प्रशाशन ने इलेक्शन कमीशन की फटकार के बाद ऐसे 900 के करीब अधिकारियों का तबादला कर दिया. ऐसा चुनाव की निष्पक्षता के लिए किया जाता है. चुनाव पढ़ने, समझने के कई तरीके होते हैं. इन्ही में से एक है. शहरी और ग्रामीण आबादी का वोटिंग पैटर्न. गुजरात में ये ख़ासा अहम है क्योंकि यहां दूसरे राज्यों की तुलना में एक बड़ी आबादी शहरों में रहती है. वैसे तो शहरी विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी को हमेशा बढ़त रही है लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी की उभार के बाद क्या उसमें किसी तब्दीली के आसार हैं? जो आप का उभार है, ये ज़्यादा नुकसान शहरों में बीजेपी को करेगा या कांग्रेस को? 'दिन भर' में सुनने के लिए यहां क्लिक करें.
भारतीय नौसेना के लिए चार दिसंबर का दिन खास है क्योंकि यह नौसेना दिवस है और इसे पहली बार ओडिशा के पुरी के ब्लू फ्लैग बीच पर मनाया जा रहा है. इस भव्य आयोजन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुईं. इस मौके पर भारतीय नौसेना ने घोषणा की है कि वे 26 राफेल लड़ाकू विमान और 3 स्कॉर्पीन पनडुब्बी की डील पूर्ण करने के करीब हैं. नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी से आज तक ने खास बातचीत की है.
स्वर्ण मंदिर के गेट पर सुखबीर बादल पर एक हमले की घटना घटी जब वे वहां सेवा कर रहे थे. एक शूटर ने चालाकी से हमला किया लेकिन वहां मौजूद पुलिस ने सही समय पर उसे विफल कर दिया. शूटर की गोली गुरुद्वारे की दीवार पर लगी. हमलावर नारायण सिंह खालिस्तान से जुड़ा पाया गया. उसने पहले बब्बर खालसा इंटरनेशनल के लिए काम किया था. अचानक हुए इस हमले के बाद, पुलिस द्वारा उसे गिरफ्तार कर लिया गया. सुखबीर बादल हमले के वक्त नीले वस्त्र में दिखाई दिए. इस घटना ने सिख समुदाय में सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है.
शिरोमणि अकाली दल के चीफ सुखबीर बादल पर हमला करने वाले नारायण सिंह का खतरनाक अतीत सामने आया है. अमृतसर पुलिस के अनुसार, नारायण सिंह बब्बर खालसा इंटरनेशनल जैसे प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से जुड़ा रहा है. 1984 के सिख विरोधी दंगों के बाद पाकिस्तान में ट्रेनिंग लेने वाला नारायण 2004 के बुडेल जेल ब्रेक में भी शामिल था. देखें पूरी क्राइम कुंडली
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