‘AIADMK की झाड़ी, बीजेपी का सांप', सनातन के बहाने उदयनिधि स्टालिन के निशाने पर कौन?
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सनातन धर्म को मिटाने की बात कर तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि पूरे देश में चर्चा में हैं. सीएम स्टालिन और उनके पुत्र उदयनिधि आजकल लगातार अपने भाषणों में मोदी और शाह को क्यों टार्गेट पर रखते हैं? क्या तमिलनाडु में बीजेपी से उन्हें खतरा हो गया है?
तमिलनाडु सरकार में मंत्री उदयनिधि के पिछले कुछ वर्षों की राजनीतिक जीवन यात्रा को देखें तो वो अपनी विचारधारा मजबूत करने के नाम पर बीजेपी को राज्य में अपनी जड़ें मजबूत करने में लगा रहे हैं. सनातन धर्म को मिटाने वाला उनका बयान तो एक बानगी भर है. इसके पहले भी उनकी राजनीति ऐसी रही है जो बीजेपी को राज्य में दूसरे नंबर का कंटेंडर बनाने का आधार तय कर रही है. तमिलनाडु में उन्हें बहुत पहले से ही हिंदुत्व समर्थित भाजपा के रूप में एक वैचारिक शत्रु पनपता दिख रहा है. यही कारण है कि उन्होंने अपनी पार्टी के युवा कैडरों के लिए सामाजिक न्याय, राज्य की स्वायत्तता आदि के बारे में ट्रेंड करने के लिए कार्यक्रम आयोजित करते रहे हैं.
उदयनिधि वही कह रहे हैं जो उन्हें कहना चाहिए था
उदयनिधि स्टालिन के 2 दिन पहले दिए बयान 'सनातन धर्म को मिटाने' के मुद्दे पर बवाल हो गया है. उन्होंने कहा कि'सनातन धर्म मलेरिया डेंगू की तरह है जिसे मिटाना ज़रूरी है.' उदयनिधि तमिलनाडु के युवा मामलों और खेल मंत्री के अलावा, फ़िल्म लेखक, निर्देशक और अभिनेता भी हैं.उदयनिधि की पारिवारिक पृष्ठभूमि और उनके प्रदेश की राजनीति को देखते हुए उनके लिए यह बयान कोई बड़ी बात नहीं है.उदयनिधि इंडिया गठबंधन में शामिल होने के पहले ये बयान दिए होते तो उन्हें शायद कोई तवज्जो नहीं मिलती और न ही इस मुद्दे की चर्चा होती. उनके दादा करुणानिधि भी ऐसी ही बातें करते रहे हैं. उनकी पार्टी जिन लोगों को महापुरुष मानती रही है उन लोगों का भी सनातन धर्म को लेकर कुछ ऐसे ही विचार रहे हैं.इसलिए उदयनिधि वही कह रहे हैं जो उन्हें कहना चाहिए था. उनकी पार्टी का आधार ही इसी विरोध पर आधारित है.
उदयनिधि कहते हैं कि, "ऐसी कुछ चीज़ें होती हैं जिनका विरोध करना काफी नहीं होता, हमें उन्हें समूल मिटाना होगा. मच्छर, डेंगू बुख़ार, मलेरिया, कोरोना ये ऐसी चीज़ें हैं जिनका हम केवल विरोध नहीं कर सकते हमें इन्हें मिटाना होगा.सनातन धर्म भी ऐसा ही है." दरअसल इंडिया गठबंधन का सदस्य होने के नाते डीएमके अगर इस तरह की बातें करती है तो इस मुद्दे का बड़ा होना लाजिमी ही है.इस तरह बीजेपी को तमिलनाडु में अपनी जड़ें मजबूत करने का तो मौका मिल ही रहा है साथ में ये मुद्दा बीजेपी को इंडिया गठबंधन को हिंदू विरोधी साबित करने में भी दिला रहा है.
उदयनिधि के भाषणों में बीजेपी का विरोध
उदयनिधि ने अपने पिता और दादा से अलग छवि तैयार करने की कोशिश की है.वह नहीं चाहते हैं कि उन्हें परिवारवाद के चलते तमिलनाडु की सत्ता पर अधिकार मिले. वो अपनी ऐसी छवि तैयार करने में लगे हैं जो उनके पिता और उनके दादा से अलग हो. इसलिए वह खुद को डीएमके के नए चेहरे के तौर पर प्रस्तुत कर रहे हैं. उनका पहनावा अक्सर जींस और सफेद शर्ट वाला होता है. जिसमें उनकी पार्टी का उगता हुआ सूरज चिह्न बना हुआ होता है.उनका ड्रेसअप अपने पिता और दादा के पारंपरिक वेशभूषा यानी सफेद शर्ट और कड़क वेष्टि से बिल्कुल अलग होता है.वह अन्नाद्रमुक को टार्गेट करने के लिए सीधे बीजेपी को टार्गेट करते हैं.द्रमुक कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने एक बार बीजेपी की तुलना उस सांप से की जो ‘अन्नाद्रमुक (AIADMK) नामक झाड़ी के जरिए तमिलनाडु में छिपा हुआ है.’ वो जोर देते हैं कि भाजपा को मिटाने के लिए हमें अन्नाद्रमुक को मिटाना होगा. उनके भाषणों में अमित शाह या नरेंद्र मोदी ही टारगेट पर होते हैं.
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