
AI से कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करने वाला प्राइवेट बिल राज्यसभा में लिस्टेड, TMC सांसद ने उठाई ये मांग
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इस बिल में कहा गया है कि सरकार को कार्यस्थल के भीतर एआई प्रौद्योगिकियों के उपयोग में पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए और कर्मचारियों को एआई-जनित प्रक्रियाओं के आधार पर कार्यों या निर्णयों को 'मना करने का अधिकार' देना चाहिए. कर्मचारियों को एआई से संबंधित ट्रेनिंग देने की भी मांग की गई है.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) लोगों के कामकाज को कैसे प्रभावित कर सकता है इसको लेकर वैश्विक स्तर पर मंथन जारी है. इसी बीच तृणमूल कांग्रेस से राज्य सभा सांसद मौसम नूर ने कार्यस्थल पर पक्षपात, भेदभाव, नियुक्ति और पदोन्नति को रोकने के लिए एआई प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल में पारदर्शिता से संबंधित एक प्राइवेट बिल पेश किया है, जिसे ऊपरी सदन में सूचीबद्ध कर लिया गया है.सांसद नूर की ओर से पेश किए गए इस प्राइवेट बिल 'कार्यबल अधिकार (एआई) विधेयक 2023' में कहा गया है कि जैसे-जैसे एआई का इस्तेमाल कार्यस्थल पर तेजी से बढ़ रहा है वैसे ही श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनों को भी मजबूत करने की जरूरत है.
जानें इस बिल की खास बातें इस बिल में कहा गया है कि अगर किसी संगठन द्वारा एआई का इस्तेमाल किया जा रहा है तो कर्मचारी के अधिकारों का ध्यान रखना जरूरी है. इस बिल में कहा गया है कि सरकार को कार्यस्थल के भीतर एआई प्रौद्योगिकियों के उपयोग में पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए और कर्मचारियों को एआई-जनित प्रक्रियाओं के आधार पर कार्यों या निर्णयों को 'मना करने का अधिकार' देना चाहिए यदि उन्हें लगता है कि यह उनके अधिकारों या नैतिक मानकों का उल्लंघन करता है.
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कर्मचारियों को मिलनी चाहिए ट्रेनिंग इस बिल में कहा गया है कि एआई के इस्तेमाल से प्रभावित कर्मचारियों को पर्याप्त प्रशिक्षण और कौशल बढ़ाने के अवसर प्रदान करना चाहिए. डेटा सुरक्षा और व्यक्तिगत जानकारी की गोपनीय हैंडलिंग सहित कर्मचारी गोपनीयता अधिकारों की सुरक्षा भी प्रदान की जानी चाहिए.इस विधेयक में कहा गया है कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नियोक्ता एआई को लागू करने से पहले कर्मचारियों से स्पष्ट और सूचित सहमति प्राप्त करें जो सीधे उनके काम या अधिकारों को प्रभावित करता है.
डीपफेक पर भी पेश किया बिल नूर ने 'डीपफेक' पर एक और बिल सूचीबद्ध किया है, जो ऐसे वीडियो का अपराधीकरण करने की मांग करता है जो डिजिटल रूप से हेरफेर या मनगढ़ंत हैं. इस विधेयक में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो परेशान करने, अपमानित करने, हिंसा या शारीरिक नुकसान पहुंचाने के इरादे से डीपफेक बनाता है उसे आपराधिक दोषी माना जाए.उन्होंने कहा कि इसे रोकने के लिए एक राष्ट्रीय डीपफेक समन और डिजिटल प्रामाणिकता टास्क फोर्स के गठन की जरूरत है.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के सांसद पी. संदोश कुमार द्वारा 26 जुलाई को राज्यसभा में पेश किया गया एक और निजी सदस्य विधेयक राष्ट्रीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता नियामक प्राधिकरण (एनएआईआरए) की स्थापना करके एआई और डीपफेक की समस्या को विनियमित करने की बात कहता है.

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