Ahmedabad blast: नरेंद्र मोदी, अमित शाह समेत अन्य मंत्री थे निशाने पर, वारदात के बाद गुनहगारों ने बचने का बनाया था प्लान
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अहमदाबाद, वडोदरा, भरुच, सूरत, पुणे जैसे शहरों में मकान को किराए पर लेकर दोषी ठहरे थे और इन्हीं मकानों में उन्होंने बम बनाए थे. अहमदाबाद, वापी, हैदराबाद, भरुच जैसे शहरों के अलग-अलग होटल में खुद की पहचान छुपाते हुए भी आतंकी ठहरे थे.
अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 को हुए सिलसिलेवार धमाके में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी, मंत्री अमित शाह, आंनदीबेन पटेल, नितिन पटेल और विधायक प्रदीप सिंह जाडेजा गुनहगारों के टारगेट पर थे. आरोपियों ने धमाके लिए साजिश रची और फिर एक-दूसरे की मदद से इस पूरी वारदात को अंजाम दिया. कोर्ट के ऑजर्वेशन के दौरान ये बातें सामने आई हैं. कोर्ट ने इस दौरान कहा कि जिहाद शब्द का इस्तेमाल पॉलिटिकल पार्टी और मीडिया के जरिए किया गया है. जिहाद पवित्र शब्द है, लेकिन भारत के विरोध में आंतकी प्रवृति के मुस्लिम संगठनों ने इस शब्द का दुरुपयोग किया है.
महाराष्ट्र के ठाणे में एक बच्ची का शव मिलने के बाद लोग आक्रोशित हो गए. दरअसल उल्हासनगर इलाके में तीन दिनों पहले एक बच्ची लापता हो गई थी जिसके बाद परिजनों ने थाने में गायब होने की रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी. इसी के बाद गुरुवार को उसका शव हिल लाइन पुलिस स्टेशन से कुछ दूरी पर मिला जिसे देखकर स्थानीय लोग भड़क गए.
गौतम अडानी पर आरोप है कि उन्होंने अमेरिका के निवेशकों के पैसे से भारत में सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी और ये रिश्वत भी उन प्रोजेक्ट्स के लिए दी गई, जिससे 20 वर्षों में अडानी ग्रुप की एक कम्पनी को 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर्स यानी भारतीय रुपयों में लगभग 16 हज़ार 881 करोड़ रुपये का मुनाफा होने का अनुमान है. आरोप है कि इस मुनाफे के लिए साल 2021 से 2022 के बीच आंध्र प्रदेश, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ की सरकारों को लगभग 2200 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई.
गौतम अडानी एक बार फिर चर्चा में हैं क्योंकि उन पर सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स के ठेके पाने के लिए भारतीय अधिकारियों को करोड़ों रुपये की रिश्वत देने का आरोप है. इस मामले पर NSUI ने भी प्रदर्शन किया है. इस मुद्दे ने राजनीतिक और व्यावसायिक जगत में खलबली मचा दी है, जिसमें भ्रष्टाचार और व्यापारिक नैतिकता के सवाल शामिल हैं.