
Afghanistan News: अफगानिस्तान की बिगड़े हालात ने बढ़ाई तालिबान की चुनौतियां, आर्थिक गतिविधियां ठप
ABP News
Afghanistan Crisis: 15 अगस्त को राष्ट्रपति अशरफ गनी और उनके अधिकांश मंत्री काबुल से भाग जाने के बाद से अफगानिस्तान में कोई वैध सरकार नहीं रही है.
Afghanistan Crisis: अफगानिस्तान में नया तालिबान शासन अब भले ही गंभीर सैन्य विरोध का सामना नहीं कर रहा है, मगर इस नव तालिबान शासन के सामने एक नई चुनौती जरूर आ खड़ी हुई है और वह है अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था के बिगड़े हुए हालात. यह एक ऐसा आर्थिक पतन है, जो तालिबान के शासन के लिए नए सिरे से चुनौतियों को हवा दे सकता है और यह विपदा पहले से ही उन पर सत्ता साझा करने का दबाव डाल रही है.समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि 15 अगस्त को राष्ट्रपति अशरफ गनी और उनके अधिकांश मंत्री काबुल से भाग जाने के बाद से अफगानिस्तान में कोई वैध सरकार नहीं रही है. तब से आठ दिनों के दौरान बैंक और मुद्रा विनिमय (मनी एक्सचेंज) बंद रहे हैं और बुनियादी वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हुई है. आर्थिक गतिविधियां ठप हो गई हैं.डब्ल्यूएसजे ने अपनी रिपोर्ट के अनुसार, काबुल निवासी बहिर, जो एक निर्माण कंपनी के लिए वित्तीय अधिकारी के रूप में काम करते हैं, ने कहा, "लोगों के पास पैसा तो है, लेकिन वह बैंक में है, जिसका मतलब है कि अब उनके पास पैसा नहीं है. नकदी ढूंढना मुश्किल है." उन्होंने कहा, "इसीलिए काबुल में पूरा कारोबार ठप है."रिपोर्ट में कहा गया है कि 1990 के दशक में, तालिबान के अधिग्रहण ने अफगान अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित किया, प्रतिद्वंद्वी ताकतों के बीच लड़ाई को समाप्त किया और व्यापार के लिए सड़कों को फिर से खोल दिया. उस समय पाकिस्तान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने अफगानिस्तान के तालिबान शासकों के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए और आगामी स्थिरता ने आंदोलन की अपील को बल दिया. ये भी पढ़ें:More Related News