Abdul Jabbar: भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों के लिए अंतिम दम तक लड़ने वाले की कहानी
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देश के सबसे दर्दनाक हादसों में से एक है भोपाल गैस त्रासदी. इसकी वजह से आज तक बच्चे विकलांग पैदा हो रहे हैं. त्रासदी के विक्टिम्स के लिए रह-रह कर आवाज़ उठती रहती हैं. फिर कहीं दबा दी जाती है, या चीखते-चीखते लोगों के गले सूख जाते हैं. लेकिन एक आवाज ऐसी थी जो इन पीड़ितों के लिए 35 साल तक लगातार उठती रही. भोपाल गैस पीड़ितों को इंसाफ दिलाने से लेकर उनके पुनर्वास तक की लड़ाई लड़ते रहे जब्बार भाई को मरणोपरांत, राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया है. 1984 की गैस त्रासदी में अब्दुल जब्बार ने अपने माता-पिता को खो दिया था. जहरीली गैस ने अब्दुल जब्बार की आंखों और फेफड़ो को बुरी तरह प्रभावित किया था. वे तभी से सेहत से जुड़े मसलों से जूझ रहे थे. लेकिन जब तक शरीर में जान रही, पीड़ितों के लिए उनकी लड़ाई नहीं रुकी. देखिए ये रिपोर्ट.
सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह रही कि खींवसर को तीन क्षेत्रों में बांटकर देखा जाता है और थली क्षेत्र को हनुमान बेनीवाल का गढ़ कहा जाता है. इसी थली क्षेत्र में कनिका बेनीवाल इस बार पीछे रह गईं और यही उनकी हार की बड़ी वजह बनी. आरएलपी से चुनाव भले ही कनिका बेनीवाल लड़ रही थीं लेकिन चेहरा हनुमान बेनीवाल ही थे.
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आज शाम की ताजा खबर (Aaj Ki Taza Khabar), 23 नवंबर 2024 की खबरें और समाचार: खबरों के लिहाज से शनिवार का दिन काफी अहम रहा है. महाराष्ट्र में नतीजे आने के बाद सूत्रों की मानें तो एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पर पर अपना दावा ठोका है. सीएम योगी ने यूपी उपचुनाव के नतीजों को पीएम मोदी के नेतृत्व की जीत बताया है.
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