AAP vs BJP : आम आदमी पार्टी का बीजेपी पर बड़ा आरोप, MCD ने एस्क्रो अकाउंट से निकाले 6,760 करोड़ रुपये
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आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच राजनीतिक जंग का अब एक नया अध्याय खुल गया है. दिल्ली की सत्ता पर काबिज AAP ने MCD पर लंबे समय से राज कर रही BJP पर बड़ा आरोप लगाया है. आप का कहना है कि एमसीडी ने एस्क्रो अकाउंट से 6,760 करोड़ रुपये निकाल लिए हैं.
दिल्ली में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने भाजपा शासित एमसीडी पर 'एस्क्रो' खाते से 6,760 करोड़ रुपए गायब करने का आरोप लगाया है. आप विधायक और एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने दावा किया है कि एस्क्रो खाते में कुल 6800 करोड़ का पार्किंग और कन्वर्जन शुल्क जमा किया गया था. जबकि भाजपा शासित एमसीडी ने पार्किंग पर 2012 से अब तक सिर्फ 40 करोड़ रुपये ही खर्च किए हैं.
पार्किंग पर एमसीडी ने खर्च किए सिर्फ 40 करोड़
AAP के एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक का कहना है कि एमसीडी जो भी टैक्स लेती है वह एस्क्रो खाते में जाता है. एक प्रक्रिया के तहत तय किया जाता है कि ये पैसा कहां खर्च किया जाएगा. दिल्ली की जनता जो पार्किंग और कन्वर्जन शुल्क देती है. वह सारा पैसा एस्क्रो खाते में जमा होता है. दस्तावेजों में साफ लिखा हुआ है कि यह पैसा सिर्फ और सिर्फ पार्किंग या कन्वर्जन के लिए ही इस्तेमाल किया जाएगा. लेकिन 2012 से लेकर आज तक का पार्किंग और कन्वर्जन शुल्क जोड़ा जाए तो लगभग 6800 करोड़ रुपए एमसीडी के एस्क्रो खाते में होने चाहिए.
उन्होंने कहा कि अगर भाजपा ने पार्किंग पर सिर्फ 40 करोड़ रुपए ही खर्च किए हैं, तो इस एस्क्रो खाते में 6,760 करोड़ रुपए होने चाहिए. जबकि आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक खाते में सिर्फ 1.5 करोड़ रुपए ही बचे हैं. ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि बाकी सारा पैसा कहां गया. इसकी जांच होनी चाहिए. उन्हें विश्वास है कि पिछले कई वर्षों से एमसीडी में भाजपा का जो चाल-चलन रहा है, इस भ्रष्टाचार में भी उसी का हाथ है. हम एलजी साहब से जांच की मांग करते हैं. साथ ही इसमें शामिल सभी दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो, इसकी भी मांग करते हैं.
भाजपा का फंड आवंटन को लेकर आप पर पलटवार
इस पर भाजपा ने बयान जारी कर आप नेता के आरोप को गलत बताया है. दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने जवाब में कहा है कि गत 8 वर्ष में दिल्ली सरकार ने विगत तीनों नगर निगमों को आर्थिक रूप से पंगु बना दिया था. नगर निगम फंड आवंटन पर बने चौथे एवं पांचवे दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिशों को स्वीकार करने के बाद भी दिल्ली सरकार ने इसे लागू नहीं किया. 2021-22 में 2007 में तय फंड राशि दी जाती रही, जबकि इन 15 वर्षों में नगर निगमों के वेतन खर्च और विकास खर्च में तीन से चार गुणा वृद्धि हो गई थी. इन्हीं आर्थिक परेशानियों के बीच तीनों नगर निगमों को समय-समय पर निगम कर्मियों के वेतन देने और छोटे-बड़े विकास कार्यों को चलाते रहने के लिए एस्क्रो फंड से ऋण लेना पड़ा.
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