9 दिन बाद अनशन खत्म करने पर राजी हुए मनोज जरांगे, सरकार को मराठा आरक्षण लागू करने के लिए दिया 2 महीने का वक्त
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मराठा आरक्षण के मुद्दे पर आंदोलन कर रहे मनोज जरांगे ने अपना 9 दिनों से चल रहा अनशन खत्म कर दिया है. साथ ही उन्होंने सरकार से दो महीने के भीतर मुद्दा सुलझाने को कहा है.
मराठा आरक्षण के मुद्दे पर आंदोलन कर रहे मनोज जरांगे ने अपना 9 दिनों से चल रहा अनशन खत्म कर दिया है. साथ ही उन्होंने सरकार से दो महीने के भीतर मुद्दा सुलझाने को कहा है. उन्होंने कहा कि जब तक आरक्षण की मांगें नहीं मानी जातीं तो उनका क्रमिक अनशन जारी रहेगा.
जरांगे ने कहा, मैं सरकार से यह भी अपील करता हूं कि मराठों को आरक्षण आवंटित होने तक भर्ती न करें. हम आपको आखिरी अल्टीमेटम दे रहे हैं. मराठवाड़ा का प्रश्न हल हो गया, लेकिन हम पूरे महाराष्ट्र में फैले सभी मराठों के लिए लड़ रहे हैं. हमने 40 साल तक संघर्ष किया है और इंतजार किया है. जब तक सरकार हमें आरक्षण नहीं दे देती, मैं रुकने वाला नहीं हूं. लेकिन मैं आपसे पूछ रहा हूं कि क्या हमें सरकार को और समय देना चाहिए या नहीं? मैं आप से पूछ रहा हूं. क्योंकि मैं आपके फैसले पर कायम हूं.'
सरकार को दिया दो महीने का अल्टीमेटम
मराठा आरक्षण की मांग कर रहे मनोज जरांगे ने कहा कि हर जिले में लोग अनशन पर बैठ रहे हैं और आंदोलन कर रहे हैं और वे मुझसे कह रहे हैं कि मैं सड़क पर आऊं और आरक्षण के लिए लड़ूं. तो आप बताइए हमें सरकार को समय देना चाहिए या नहीं? और यह कितना समय होना चाहिए? दरअसल उन्हें कम से कम 2 महीने चाहिए. क्योंकि उन्हें पूरे महाराष्ट्र में काम करने की जरूरत है. अगर वे वादा तोड़ेंगे तो हम उन्हें हर जगह रोकेंगे. हम मुंबई की ओर चलेंगे. हम उनके सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक काम बंद कर देंगे. हम कृषि उपज जैसे सब्जियां, दूध और अन्य चीजें उपलब्ध नहीं कराएंगे.
इसके बाद मनोज जरांगे ने कहा कि क्या हमें उन्हें 24 दिसंबर तक का समय देना चाहिए? क्योंकि उन्होंने जस्टिस शिंदे कमेटी को 24 दिसंबर तक की मोहलत दे दी है. मराठा नेता ने कहा कि मंत्री धनंजय मुंडे 8 दिन और मांग रहे हैं जो कि 2 जनवरी तक है. मराठा आरक्षण का उचित जीआर तैयार करने के लिए राज्य सरकार को 24 दिसंबर तक का अतिरिक्त समय आवंटित किया गया है.
जरांगे ने जानी जनता की राय
गौतम अडानी पर आरोप है कि उन्होंने अमेरिका के निवेशकों के पैसे से भारत में सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी और ये रिश्वत भी उन प्रोजेक्ट्स के लिए दी गई, जिससे 20 वर्षों में अडानी ग्रुप की एक कम्पनी को 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर्स यानी भारतीय रुपयों में लगभग 16 हज़ार 881 करोड़ रुपये का मुनाफा होने का अनुमान है. आरोप है कि इस मुनाफे के लिए साल 2021 से 2022 के बीच आंध्र प्रदेश, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ की सरकारों को लगभग 2200 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई.
गौतम अडानी एक बार फिर चर्चा में हैं क्योंकि उन पर सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स के ठेके पाने के लिए भारतीय अधिकारियों को करोड़ों रुपये की रिश्वत देने का आरोप है. इस मामले पर NSUI ने भी प्रदर्शन किया है. इस मुद्दे ने राजनीतिक और व्यावसायिक जगत में खलबली मचा दी है, जिसमें भ्रष्टाचार और व्यापारिक नैतिकता के सवाल शामिल हैं.