84 फीसदी आबादी को 65 फीसदी आरक्षण... नीतीश के दांव से बिहार में ऐसे बदल जाएगा नौकरियों का आंकड़ा
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बिहार सरकार ने मंगलवार को जातिगत जनगणना की आर्थिक सर्वे रिपोर्ट पेश की है. इसमें राज्य में प्रत्येक वर्ग की सरकारी नौकरियों में हिस्सेदारी भी बताई है. बिहार में सामान्य वर्ग की कुल आबादी 15 प्रतिशत से ज्यादा है और सबसे ज्यादा 6 लाख 41 हजार 281 लोगों के पास सरकारी नौकरियां हैं. सामान्य वर्ग के 3.19% लोग सरकारी नौकरियों में हैं. इसी तरह बिहार की कुल पिछड़ी जातियों में 6 लाख 21 हजार 481 लोगों के पास सरकारी नौकरी है.
बिहार की नीतीश सरकार ने एससी, एसटी, अन्य पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए मौजूदा कोटा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर कुल 75 प्रतिशत करने का प्रस्ताव पारित किया है. इसी शीतकालीन सत्र के दौरान विधानसभा में इस पर एक विधेयक लाया जाएगा. मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस संबंध में बयान दिया. नीतीश कुमार ने यह दांव 2024 के चुनाव से कुछ महीने पहले खेला है. इसे राजनीति से जोड़कर भी देखा जा रहा है. नए प्रस्ताव से बिहार में नौकरियों का आंकड़ा भी बदल जाएगा. जानिए कैसे...
बिहार सरकार ने जिस प्रस्ताव को मंजूरी दी है, उसमें ओबीसी और ईबीएस के आरक्षण को 30 प्रतिशत से बढ़ाकर संयुक्त रूप से 43 प्रतिशत, अनुसूचित जाति (एससी) के लिए 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 1 प्रतिशत से बढ़ाकर 2 प्रतिशत करने का फैसला लिया है. ईडब्ल्यूएस के लिए कोटा मौजूदा 10 फीसदी ही रहेगा. जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट से पता चला है कि राज्य की कुल आबादी 13.07 करोड़ है. ओबीसी (27.13 प्रतिशत) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (36 प्रतिशत) की हिस्सेदारी 63 प्रतिशत है. जबकि एससी और एसटी कुल मिलाकर 21 प्रतिशत से थोड़ा ज्यादा है. सामान्य वर्ग के लोगों की आबादी 15 फीसदी है. संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी द्वारा विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में करीब 2.97 करोड़ परिवार हैं, इनमें से 94 लाख से ज्यादा (34.13 प्रतिशत) लोगों की 6,000 रुपये या उससे कम मासिक आय है.
'नीतीश का पिछड़ा वर्ग पर खास फोकस'
बिहार सरकार के नए फैसले के तहत 84 फीसदी आबादी को 65 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा. दरअसल, राज्य में पिछड़ा और अत्यंत पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या 63 फीसदी है. इसके अलावा, एससी-एसटी की आबादी 21 प्रतिशत से ज्यादा है. इन वर्गों की राज्य में कुल आबादी 84 फीसदी होती है. नीतीश सरकार ने भी इन पिछड़ा वर्ग पर खास फोकस किया है. यही वजह है कि 63 फीसदी वाले पिछड़ा-अत्यंत पिछड़ा वर्ग को 43 प्रतिशत और 21 प्रतिशत वाले एससी-एसटी वर्ग को 2 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया है. 10 प्रतिशत आरक्षण आर्थिक रूप से पिछड़े परिवार को मिलेगा.
बिहार में अभी क्या है आबादी और नौकरी में हिस्सेदारी?
बिहार सरकार ने मंगलवार को विधानसभा के पटल पर राज्य के आर्थिक और शैक्षणिक आंकड़े रखे हैं. सरकार ने यह भी बताया कि राज्य की सरकारी नौकरियों में किस वर्ग की कितनी हिस्सेदारी है. बिहार में सामान्य वर्ग की आबादी 15 प्रतिशत है और सबसे ज्यादा 6 लाख 41 हजार 281 लोगों के पास सरकारी नौकरियां हैं. नौकरी के मामले में दूसरे नंबर पर 63 फीसदी आबादी वाला पिछड़े वर्ग है. पिछड़ा वर्ग के पास कुल 6 लाख 21 हजार 481 नौकरियां हैं. तीसरे नंबर पर 19 प्रतिशत वाली अनुसूचित जाति है. एससी वर्ग के पास 2 लाख 91 हजार 4 नौकरियां हैं. सबसे कम एक प्रतिशत से ज्यादा आबादी वाले अनुसूचित जनजाति वर्ग के पास सरकारी नौकरियां हैं. इस वर्ग के पास कुल 30 हजार 164 सरकारी नौकरियां हैं. अनुसचित जनजाति की आबादी 1.68% है.